UP news: सात साल से संघर्ष कर रहे 6000 सहायक शिक्षकों को मिला दिवाली तोहफा, हाईकोर्ट ने हक में दिया फैसला
UP News: 2016 में हुई प्राइमरी विद्यालयों के लिए शिक्षक भर्ति परिक्षा में नियुक्ति अभी तक नहीं हुई थी. इस मामले में अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सुनवाई की है, और सभी पदों को भरने का आदेश दिया है.
UP News: उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के तौर पर भर्ती के लिए सात साल से संघर्ष कर रहे करीब छह हजार सहायक शिक्षकों का संघर्ष रंग लाया है. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को मेरिट सूची बनाकर इन्हें जल्द नियुक्ति देने का आदेश जारी कर दिया है. सहायक शिक्षक के लिए चयनित ये अभ्यर्थी लंबे समय से धरना प्रदर्शन कर नौकरी दिए जाने को लेकर आंदोलन कर रहे थे.प्राइमरी विद्यालयों के लिए 2016 में 12460 सहायक आध्यपकों की भर्ती की गई थी. इसमें से बचे 5990 चयनित अभ्यर्थियों को छोड़कर बाकी बचे हुए छात्रों को नियुक्ति पत्र दिए गए थे.
इतने छात्रों के दिए जा चुके है नियुक्ति पत्र
इस भर्ती में 51 जिलों के 6470 चयनितों को नियुक्ति पत्र दिए जा चुके थे. लेकिन अब उन बचे हुए 5990 चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता भी लगभग साफ हो गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2016 की सहायक शिक्षक भर्ती मामले में कहा कि संबंधित प्राधिकारी, एनसीटीई की अधिसूचना और 26 दिसंबर 2016 के सर्कुलर के तहत संबंधित जिलों के सभी पात्र सहायक शिक्षकों की कॉमन मेरिट सूची तीन माह में तैयार कर सभी पदों को भरने का आदेश दिया है.
अभ्यर्थीोयों ने कोर्ट में लगाई थी याचिका
दरअसल, वर्ष 2016 में शुरू हुई इस भर्ती में 75 में से 24 जिलों में एक भी पद खाली नहीं था. इन शून्य खाली पदों वाले जिलों के अभ्यर्थियों को किसी अन्य जिले में आवेदन करने की छूट दी गई थी. मार्च 2017 में पहली काउंसिलिंग हुई, लेकिन उसी समय प्रदेश में सरकार बदल जाने के बाद नई सरकार ने 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी थी. इस पर कुछ अभ्यर्थी कोर्ट चले गए.
तुरंत भर्ती शुरू करने के आदेश
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 1 नवंबर 2018 को भर्ती पर रोक वाले राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है, और सरकार को तुरंत भर्ती शुरू करने की अनुमति दी. सभी अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग भी कराई गई. जिन चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है. इनमें से कुछ अभ्यर्थियों व राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए 19 अपीलें दाखिल की थीं. अब हाईकोर्ट के फैसले व आदेश के बाद शून्य खाली पदों वाले जिले के चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है.
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