विशाल सिंह/लखनऊ:  प्राथमिक स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों तक शिक्षकों व अनुदेशकों की भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर ही होगी. 90 प्रतिशत अंक लिखित परीक्षा के और 10 प्रतिशत अंक साक्षात्कार के जोड़कर मेरिट सूची बनाई जाएगी. पारदर्शिता के लिए इंटरव्यू में न्यूनतम 40 प्रतिशत व अधिकतम 90 प्रतिशत तक अंक दिए जा सकेंगे. जहां साक्षात्कार नहीं होगा वहां लिखित परीक्षा के अंकों के आधार पर ही भर्ती की जाएगी. इसका चयन उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (Uttar Pradesh Education Service Selection Commission) करेगा. लिखित परीक्षा दो घंटे की होगी और इसमें वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे. एग्जाम ओएमआर शीट पर कराया जाएगा. बुधवार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग नियमावली को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के बाद इसकी आधिसूचना जारी कर दी गई.


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अधिसूचना जारी, भर्ती से सबसे बड़ा फेरबदल
इसके तहत प्रदेश के उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, अनुदेशक और सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग की अधिसूचना जारी कर दी गई. जारी अधिसूचना में आयोग में अध्यक्ष सदस्यों के चयन, अधिकारी की योग्यता और शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा और साक्षात्कार की डिटेल की जानकारी दी है. जारी अधिसूचना में कहा गया कि यदि तीन साल के अंदर विज्ञापित पदों के सापेक्ष चयन प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो आयोग इस विज्ञापन को रद्द कर सकता है. इसके बाद आयोग फिर से नए सिरे से विज्ञापन जारी करेगा. वहीं अल्पसंख्यक संस्थानों में शिक्षकों के सिलेक्शन के लिए विज्ञापन के लिए पदों की सूचना अलग से जारी की जाएगी.


जिला मुख्यालयों पर ही आयोजित होगी लिखित परीक्षा
लिखित परीक्षा जिला मुख्यालयों पर ही आयोजित की जाएगी. ऐसे में बेसिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन के लिए लिखित परीक्षा और शैक्षिक गुणांक की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है. अब इनका चयन या तो सीधे लिखित परीक्षा या लिखित परीक्षा औऱ इंटरव्यू के आधार पर ही होगा. वहीं यूजी-पीजी कॉलेज के प्राचार्य पद के लिए चयन लिखित परीक्षा व एपीआई के आधार पर होगा. लिखित परीक्षा में पास अभ्यर्थियों में से खाली पदों के सापेक्ष 3 से 5 गुणा लोगों को बुलाया जाएगा.


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अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में भर्ती के लिए एक अलग विशेषज्ञ पैनल
शैक्षिक गुणांक में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक और बीएड और बीटीसी के नंबर जोड़े जाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. वहीं डिग्री कालेजों में प्रचार्यों की भर्ती में लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और शैक्षिक प्रदर्शन सूचक (एपीआइ) के अंक जोड़कर चयनित अभ्यर्थियों की मेरिट तैयार होगी.  अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में भर्ती के लिए एक अलग विशेषज्ञ पैनल भी होगा जो पूरी भर्ती प्रक्रिया पर अपनी नजर बनाकर रखेगा.  इस आयोग के अस्तित्व में आने के बाद उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्णकालिक कर्मचारी इस नए आयोग के अधीन होकर कार्य करेंगे.


3 साल में भर्ती नहीं तो कैंसिल होगा विज्ञापन
शासन ने कहा है कि यदि तीन साल के अंदर विज्ञापित पदों के सापेक्ष चयन प्रक्रिया नहीं शुरू होती है तो आयोग इसका विज्ञापन निरस्त कर सकता है.  आयोग को फिर से इसे विज्ञापित करने का अधिकार होगा। 


मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी अध्यक्ष का चयन 
उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग के एक अध्यक्ष और 12 सदस्यों के चयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्क्रीङ्क्षनग कमेटी बनाई गई है. इसी तरह अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक, माध्यमिक शिक्षा व बेसिक शिक्षा इसके सदस्य होंगे.


 25 दिनों के भीतर मांगे जाएंगे आवेदन


विज्ञापन के 25 दिनों के भीतर यह इन पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगें जाएंगे. अध्यक्ष पद के लिए पांच अभ्यर्थियों और सदस्यों के लिए प्रत्येक पद पर तीन गुणा कैंडीडेट के नाम की लिस्ट  तैयार की जाएगी.  अंतिम चयनितों की सूची मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद जारी की जाएगी.


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