PUC Fee Hike: उत्तर प्रदेश में नए साल से वाहन जांच के लिए ज्यादा कीमतें चुकानी होंगी. एक जनवरी से वाहनों की जांच फीस बढ़ जाएगी.  नई दरों का आदेश अपर परिवहन आयुक्त राजस्व की ओर से जारी कर दिया गया है. ये आदेश सभी RTO व ARTO को भेजा गया है. प्रदूषण जांच शुल्क में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. यह आदेश एक जनवरी से प्रभावी हो जाएगा.


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चुकाने होंगे ज्यादा पैसे
दोपहिया,तिपहिया और चार पहिया वाहनों के साथ ही अन्य वाहनों के लिए वाहन मालिकों को वर्तमान शुल्क से पांच प्रतिशत ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. ऐसे में महंगाई के दौर में वाहन मालिकों को गाड़ी चलाने के लिए अपनी जेब और भी ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी.


आदेश के मुताबिक नए रेट
इस आदेश के मुताबिक पेट्रोल से चलने वाले दो पहिया वाहनों के लिए 65 रुपये, तिपहिया वाहन (पेट्रोल-एलपीजी-सीएनजी) के लिए 85 रुपये और चौपहिया वाहनों के लिए भी 85 रुपये प्रदूषण की जांच के लिए देने होंगे. डीजल से चलने वाले तिपहिया और चौपहिया वाहनों की प्रदूषण जांच के लिए 115 रुपये देने होंगे. इस संबंध में एआरटीओं कोआदेश भेज दिए गए हैं.


आदेश जारी
अपर परिवहन आयुक्त राजस्व पुष्पसेन सत्यार्थी ने बताया कि उत्तर प्रदेश ऑनलाइन मोटरयान प्रदूषण जांच केंद्र योजना 2020 के नियम 6 के उप नियम (दो) में प्रावधान है कि ऑनलाइन प्रदूषण प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने के लिए हर साल जनवरी माह में पांच प्रतिशत वृद्धि की जा सकती है. यह बढ़ोतरी न्यूनतम पांच रुपए होगी. परिवहन आयुक्त की तरफ से इस पर मुहर लगा दी गई है, जिसके बाद इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया गया. उन्होंने बताया कि प्रदूषण जांच के लिए बढ़ा हुआ शुल्क एक जनवरी 2025 से लागू हो जाएगा. नई दरें लागू होने के बाद वाहन मालिकों को उसी दर पर प्रदूषण प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा.


प्रदूषण जांच की अनिवार्यता
उत्तर प्रदेश में डीजल, पेट्रोल, सीएनजी, और एलपीजी से चलने वाले व्हीकलों को हर छह (UP fee hike) महीने में अपने वाहन की पॉल्यूशन जांच कराना अनिवार्य है.  प्रदूषण जांच के बिना वाहन चलाने पर 10 हजार रुपये तक का चालान हो सकता है. प्रदूषण की जांच से न केवल वाहन की स्थिति का पता चलता है, बल्कि यह पर्यावरण सुरक्षा में भी मदद करता है.


10 हजार का हो सकता है चालान
व्हीकलों की प्रदूषण की जांच नहीं होने पर 10 हजार रुपये का चालान हो सकता है. पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, एलपीजी से चलने वाले वाहनों को हर छह महीने में पॉल्यूशन चेक कराना अनिवार्य है. लखनऊ में प्रदूषण की जांच के लिए 210 से ज्यादा केंद्र हैं.


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