Dara Singh Chauhan:  दारा सिंह चौहान को यूपी में सत्ता के सियासी मौसम का सटीक जानकार माना जाता रहा है. उन्होंने चुनाव दर चुनाव सत्ता का रुख देखते हुए पाला बदला और सरकारों में शामिल रहे. लेकिन 30 सालों के सियासी सफर में वो पहली बार मात खाते दिख रहे हैं. डेढ़ महीने पहले सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले दारा सिंह सपा के सुधाकर सिंह से हार तय है. सुधाकर सिंह ने करीब 25 हजार वोटों की बढ़त बना ली है. जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर ही 22 हजार था. 


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ये चुनावी नतीजा बीजेपी का दामन थामने वाले दारा सिंह चौहान की लोकप्रियता का इम्तेहान था, बल्कि वोट ट्रांसफर करने वाले दलों को पाले में लाने की बीजेपी की रणनीति की भी परीक्षा भी थी. योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में पांच साल मंत्री रहे दारा सिंह 2022 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी छोड़ सपा में शामिल हो गए थे, लेकिन एक साल वनवास काटने के बाद वो दोबारा सत्तासीन दल के खेमे में लौट आए. 


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चौहान ने जुलाई 2023 में सपा से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था. घोसी विधानसभा सीट से सपा के विधायक रहे दारा सिंह ने समाजवादी पार्टी और साथ ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद दारा सिंह एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद Bye Poll Election कराए गए और वो बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे. समाजवादी पार्टी ने दारा सिंह के सामने दबंग नेता सुधाकर सिंह को उतारा.


पिछड़े वर्ग के बड़े नेता दारा सिंह, सपा, बसपा और बीजेपी की सियासी पारियों के साथ यूपी की राजनीति का अहम हिस्सा रहे हैं. बीजेपी से पहले वह योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में मंत्री के पद व राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं. 


दारा सिंह चौहान का आजमगढ़ से ताल्लुक
दारा सिंह चौहान का जन्म 25 जुलाई 1963 को आज़मगढ़ जिले के गलवारा गाँव में हुआ था. उनके पिता का नाम राम किशन चौहान है. दारा सिंह चौहान ने दिशा चौहान से शादी की थी, उनकी दो बेटियां और दो बेटे हैं. दारा ने साल 1980 में माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद में भाग लिया और हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की. 
 
लंबा राजनीतिक करियर
दारा सिंह चौहान ने सबसे पहले साल 1996 में बसपा का दामन थामा था. बसपा से ही सबसे पहले दारा सिंह चौहान राज्यसभा गए थे. इसके चार साल बाद कार्यकाल पूरा होते ही समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. वो साल 2000 में सपा से ही राज्यसभा सदस्य बने. दारा सिंह चौहान ने एक बार फिर करवट बदली और वो साल 2007 में विधानसभा चुनाव से पहले दौबारा बसपा में शामिल हो गए. फिर बसपा की उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी. 


भाजपा का थामा हाथ 
दारा सिंह चौहान ने साल 2009 में बसपा से लोकसभा चुनाव जीता. इसके बाद चौहान पार्टी के संसदीय दल नेता बने. जब साल 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तो दारा सिंह चौहान का भाजपा की ओर झुकाव देखने को मिला. 12 फरवरी साल 2015 को चौहान ने भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली. भाजपा ने उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. 


जब पहली बार दारा बने मंत्री 
दारा सिंह चौहान मधुबन से साल 2017 में विधानसभा चुनाव जीते और पहली बार सीएम योगी की कैबिनेट में वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाए गए. करीब पांच साल सत्ता सुख भोगने के बाद दारा सिंह चौहान ने भाजपा पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया. दारा सिंह ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर घोसी से जीत हासिल भी की लेकिन सरकार भाजपा की बनी.


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