लखनऊ: आंबेडकर महासभा ने 14 अप्रैल को भीमराव रामजी आंबेडकर के जन्मदिन के अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ को दलित मित्र सम्मान देने का फैसला किया है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में तमाम राजनीतिक दल दलित एजेंडे को अपने-अपने तरीके से भुनाने में जुट गई है. समाजवादी पार्टी पहली बार धूमधाम से आंबेडकर जयंती मनाने जा रही है. जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले बीजेपी की तरफ से पूरे प्रदेश में आंबेडकर मिशन पैदल मार्च निकाला जा रहा है. हर साल की तरह इस साल भी बसपा की तरफ से आंबेडकर जयंती पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. सियासी दलों के दलित प्रेम का पीछे एकमात्र मिशन-2019 है.


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सम्मान को लेकर सपा का बीजेपी पर हमला
आंबेडकर महासभा के सीएम योगी आदित्यनाथ को दलित मित्र सम्मान देने को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. खुद महासभा के सदस्य ही इसका विरोध जता रहे हैं. इस विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी का कहना है कि शायद सीएम ने इस पुरस्कार के लिए महासभा के अध्यक्ष को मैनेज कर लिया है, क्योंकि यूपी में तो दलितों के हित में कोई काम नहीं हो रहा है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि अगर महासभा कोई सम्मान देना चाहती है तो इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. सपा MLC राजपाल कश्यप ने कहा कि अब बीजेपी के साथ कोई जुड़ना नहीं चाहता है और इस पुरस्कार के लिए हो सकता है की सीएम ने खुद संस्था को मैनेज कर लिया हो. पार्टी के MLC कह रहे हैं कि जो सीएम अपने सांसदों की नहीं सुनते हैं, ऐसे सीएम से क्या उम्मीद की जा सकती है कि वो दलितों की सुनेंगे?


बसपा से गठबंधन के बाद सपा के बदले बोल
उत्तर प्रदेश ना सिर्फ जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है, बल्कि देश की सियासत में भी यूपी का एक अलग स्थान है. यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं और, यहां की जीत पर ही ये निर्भर करता है कि केंद्र में कौन सरकार बनाएगा. हाल ही में प्रदेश में बदले सियासी समीकरणों ने दो उपचुनावों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को जीत दिला दी. इस जीत और अपने नए सहयोगी बीएसपी का साथ पाकर एसपी खासी उत्साहित है. इसे गठबंधन का ही असर कहेंगे कि हमेशा लोहिया की विचारधारा पर चलने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी पूरे प्रदेश में जोर-शोर से 14 अप्रैल को भीमराव रामजी आंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बकायदा प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से पूरे प्रदेश के पदाधिकारियों चिट्ठी लिखकर जयंत मनाने को कहा गया है. 14 अप्रैल को लखनऊ में सपा मुख्यालय में भी एक बड़े कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही है. पार्टी के नेता कह रहे हैं कि इसे बीएसपी के साथ गठबंधन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि समाजवादी पार्टी पहले भी आंबेडकर जयंती मनाती रही है. सपा नेता तो ये भी कह रहै हैं कि लोहिया और आंबेडकर की विचारधारा एक जैसी ही थी, और पार्टी सभी महापुरुषों का सम्मान करती है. और अब गधबंधन के बाद सपा और बसपा तो एक ही हो गई.


बीजेपी की तरफ से आंबेडकर मिशन पैदल मार्च का आयोजन
अब समाजवादी पार्टी जब धूमधाम से आंबेडकर जयंती मनाने जा रही है तो भला सत्ताधारी बीजेपी कैसे पीछे रह सकती हैं. बीजेपी के अनुसूचित मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद कौशल किशोर का कहना है कि बीजेपी 13 अप्रैल को यानि पूर्व संध्या पर पूर प्रदेश में आंबेडकर मिशन पैदल मार्च निकालेगी और 14 अप्रैल को दलति समाज के लोग सीएम योगी आदित्यनाथ को दलित मित्र सम्मान से सम्मानित करेंगे. उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी केवल वोटरों को रिझाने के लिए ये जयंती मना रही है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. प्रदेश का दलित समाज बीजेपी के साथ था और आगे भी रहेगा.