Mahatma Gandhi Punyatithi 2024 : 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है. 1948 में इसी दिन नाथूराम गोडसे ने 3 गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी. आखिर उस दिन क्या हुआ था. कैसे यह पूरी घटनाक्रम हुआ.  नाथूराम गोडसे ने बापू को 30 जनवरी 1948 में दिल्ली के बिड़ला भवन में गोली मारी थी. कहा जाता है कि गोली लगने के बाद बापू के अंतिम शब्द ‘हे राम’ थे. हे राम कहते हुए बापू जमीन पर गिर पड़े थे. बताया जाता है कि शुक्रवार 30 जनवरी 1948 की शुरुआत एक आम दिन की तरह हुई. हमेशा की तरह महात्मा गांधी तड़के साढ़े तीन बजे जग गए थे. हर दिन की तरह उन्होंने प्रार्थना की, दो घंटे अपनी डेस्क पर कांग्रेस की नई ज़िम्मेदारियों के मसौदे पर काम किया और इससे पहले कि दूसरे लोग उठ पाते, छह बजे फिर सोने चले गए.


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काम करने के दौरान वह अपनी सहयोगियों आभा और मनु का बनाया नींबू और शहद का गरम पेय और मीठा नींबू पानी पीते रहे. दोबारा सोकर आठ बजे उठे. जगने के बाद दिन के समाचार पत्र पढ़े. इसके बाद ब्रजकृष्ण ने तेल से उनकी मालिश की. नहाने के बाद उन्होंने बकरी का दूध, उबली सब्ज़ियां, टमाटर और मूली खाई और संतरे का रस भी पिया. 


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पैर छूने के बहाने कत्ल
30 जनवरी 1948 की शाम जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे उनके पैर छूने का अभिनय करते हुए उनके सामने गए और उनपर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं. उस समय गांधी सहयोगियों से घिरे हुए थे.


जब बापू की सहयोगी मनु और गोडसे में हुई तकरार
बिड़ला भवन में शाम पांच बजे प्रार्थना होती थी लेकिन महात्मा गांधी सरदार पटेल के साथ बैठकों में व्‍यस्‍त थे. इसी बीच सवा पाँच बजे वह प्रार्थना के लिए निकले. 30 जनवरी 1948 की शाम जब बापू आभा और मनु के कन्धों पर हाथ रखकर मंच की तरफ बढ़े कि उनके सामने नाथूराम गोडसे आ गया. उसने हाथ जोड़कर कहा-"नमस्‍ते बापू!" गांधी के साथ चल रही मनु ने कहा - "भैया! सामने से हट जाओ, बापू को जाने दो. बापू को पहले ही देर हो चुकी है."


लेकिन गोडसे ने मनु को धक्‍का दे दिया और अपने हाथों में छिपा रखी छोटी बैरेटा पिस्टल से गान्धी के सीने पर एक के बाद एक तीन गोलियां दाग दीं. दो गोली बापू के शरीर से होती हुई निकल गयीं जबकि एक गोली उनके शरीर में ही फंसी रह गयी. 78 साल के महात्‍मा गान्धी का उसी समय देहांत हो चुका था. बिड़ला भवन में गान्धी के शरीर को ढँककर रखा गया था, लेकिन जब उनके सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी वहां पहुंचे तो उन्‍होंने बापू के शरीर से कपड़ा हटा दिया ताकि दुनिया शान्ति और अहिंसा के पुजारी के साथ हुई हिंसा को देख सके.