गोंडा: हम लोग अकसर सुनते है कि लालच बुरी बला है. ऐसा ही कुछ यूपी के गोंडा में हुआ जहां एक महिला सुहागिन होने के बाद भी विधवा बनी है. इसकी वजह पति नहीं पैसा है. दरअसल, 4,487 महिलाएं सुहागिन होने के बाद भी विधवा बनकर निराश्रित पेंशन ले रही है. इतना ही नहीं राशन कार्ड से पति के हिस्से का राशन भी ले रही है. राशनकार्ड में आधार जोड़ने के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि हजारों महिलाएं दोनों विभागों की लाभार्थी है. यह एक ही जिले का आंकड़ा है. महिला कल्याण विभाग से पेंशन लेने वाली 4,487 महिलाएं खाद्य रसद विभाग से राशनकार्ड में दर्ज पति के हिस्से का राशन भी उठा रही हैं.


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पति के हिस्से का अनाज
सरकार से निराश्रित महिला पेंशन लाभार्थियों की सूची मिली है, जिला पूर्ति अधिकारी कृष्ण गोपाल पांडेय ने बताया. इनमें से कुछ मृत पति के हिस्से का राशन कार्ड भी ले रही थी. सत्यापन होने के बाद जो महिला योग्य होगी, उसे योजना का पालन कराया जाएगा. यह समस्या लगभग तीन साल से जारी है. एक महिला को हर महीने एक हजार रुपये पेंशन मिलता है. इनको तीन सालों में 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की पेंशन दी गई है. इसके अलावा, महिलाओं ने एक यूनिट अतिरिक्त राशन का लाभ भी उठाया. एक अधिकारी ने कहा कि यह सिर्फ एक जिले का आंकड़ा है. 


9000 किसान लेते है मुफ्त राशन का लाभ
सरकार ने इसकी जांच पूरे प्रदेश में की है. यह जांच गरीब कल्याण योजना में व्यापक धांधली की आशंका बढ़ाती जा रही है. इससे पहले की जांच में पता चला था कि जिले में 9000 आयकरदाता और सक्षम लोगों ने राशनकार्ड बनवाकर जरूरतमंदों को मुफ्त अनाज देते रहे हैं. 9,313 बड़े किसान, जिन्होंने सरकार को समर्थन मूल्य पर अपना खेत का अनाज बेचा है वो भी इस मुफ्त राशन का लाभ लेते हैं. आधार सीडिंग के बाद खाद्य विपणन विभाग ने दो हेक्टेयर से अधिक जमीन वाले किसानों की पहचान की. ये सरकारी क्रय केंद्रों पर अपना अनाज बेचते रहे और कोटेदार से मुफ्त राशन लेते रहे. अब पूर्ति विभाग इनकी जांच करेंगे और उनके राशन कार्डों को रद्द करेंगे. यही कारण है कि राशन कार्ड, निराश्रित पेंशन और आयुष्मान कार्ड के प्रति लोगों की अत्यधिक लालच का परिणाम है.


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