मेरठ: देश में उत्तर प्रदेश के कैराना के बाद अब उसी प्रदेश का मेरठ शहर अखबारों की सुर्खियों में है. वजह यहां से बड़ी तादाद में हिंदू परिवारों के पलायन का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है. देखते-देखते हर बीतते दिन के साथ ये खबर पूरे देश में मे आग की तरह फैल गई. इस पूरे प्रकरण की तह तक पहुंचने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर इस कहानी की पूरी इनसाइड स्टोरी को जानने और खंगालने का जब प्रयास किया तो कई चौंकाने वाले और डराने वाले तथ्य सामने आए.


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जब ज़ी न्यूज़ की टीम प्रह्लाद नगर कालोनी पहुंची तो लगभग हर गली के ताला जड़े मकानों के बाहर वो बोर्ड लगा मिला जिस पर लिखा था कि ‘ये मकान बिकाऊ है’ और साथ ही उस मकान के मालिक का मोबाइल नंबर भी साथ ही लिखा हुआ था. हम इस मोहल्ले के सबसे पुराने मंदिर गीता भवन पहुंचे जहां सुबह से ही काफी लोग जमा थे. उन लोगों से बातचीत शुरू की हमने तो एक-एक करके परिवारों के पलायन की कहानी के पीछे की वजहों से पर्दा उठना शुरू हुआ. 


यहां मौजूद एक शख्स वृजराज गुप्ता बताते हैं, "आए दिन मोहल्ले की महिलाओं, बेटियों से छेड़खानी की घटनाएं आम बात हो गई थी. मोहल्ले की गलियों में एक समुदाय विशेष के लड़के बेखौफ हुडदंगबाजी, बाइक स्टंट किया करते हैं और इन सभी बातों और वारदातों से परेशान होकर इन्होने अपना यहां का घर बेच दिया और परिवार सहित मेरठ के किसी दूसरे मुहल्ले में जाकर बस गए."  


एक और शख्स बताते हैं कि सन 1947 में देश की आजादी के दौरान बंटवारे के बाद मेरठ की ये कॉलोनी रिफ्यूजी कॉलोनी के रूप में बसाई गई जिसको जहां जगह मिसा उसने वहां अपना घर बनाया.. क्या एक बार फिर हम लोगों को यहां से जाने के हालात पैदा हो रहे हैं?   


गलियों से गुजरते हुए हमारी टीम की मुलाकात ट्यूशन पढ़कर लौट रही इसी मोहल्ले की दो बच्चियों से हुई. उन्होंने हमें बताया, "मोहल्ले की सड़कों पर आज के दिन में जो हालात हैं, वैसी स्थिति में अभिभावक हमें अकेले घर से निकलने देने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं. आए दिन बाहरी लड़के बाइकों पर गलियों मे चक्कर लगाते हैं और परेशान करते हैं. वो किसी से नहीं डरते." 


मेरठ के इस मुहल्लेवासियों का आरोप है, "दिन निकलने के साथ ही दूसरे सांप्रदाय के युवा बाइकों पर तेज हॉर्न के साथ स्पीड से निकलते हैं. युवतियों पर फब्तियां कसना और मारपीट करना इन युवकों का शगल बन चुका है. जो मोहल्ला पहले कभी मेरठ की शान हुआ करता था आज उसी मुहल्ले में तरक्की पसंद व्यक्ति रहने को तैयार नहीं है."


 



इस मोहल्ले का घर बार बेचकर दूसरी जगह बस चुके अशोक कथुरिया से भी हमारी मुलाकात हुई. वह बताते हैं, "2016 और 2017 से लगातार मोहल्ले और उसके आसपास गुंडागर्दी और भय का माहौल बनाने वाले एक खास समुदाय के लड़कों के खिलाफ जिलाधिकारी तक को लिखित शिकायत कर चुके हैं लेकिन आज तक न तो कोई जवाब आया और न ही हमारी शिकायत पर कोई कार्रवाई हुई." 


स्थानीय लोगों ने निसाड़ी गेट थाना के पुलिसवालों पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "पुलिसवाले उसी समुदाय के लोगों से पैसा रुपये ले देकर हर बार मामला रफा दफा कर देते हैं." यहां के बाशिंदे का दावा है कि सिर्फ प्रह्लाद नगर में ही नहीं बल्कि इस मोहल्ले से सटी दूसरी कालोनियां जैसे कि स्टेट बैंक कॉलोनी, राम नगर, हरिनगर, इश्वरपुरी, विकासपुरी जैसे दर्जनों मोहल्ले ऐसे हैं जो एक खास समुदाय के लोगों के कब्जे आ चुके हैं और हिंदू परिवारों का पलायन हो चुका है.