कुलदीप चौहान/बागपत: कौन कहता है कि आसमान में सुराग नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों, ये लाइनें छात्रों में जज्बा जगाने के लिए दोहराई जाती हैं, लेकिन यह चरितार्थ हुई हैं बागपत के एक युवक पर. जो सिपाही की हत्या की वारदात में जेल चला गया था लेकिन जमानत पर छूटने के बाद युवक ने वकालत कर अपना ही केस लड़ा. लम्बी सुनवाई के बाद अब कोर्ट से बाइज्जत बरी हुआ है. 


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आपको बता दें कि बागपत की बड़ौत तहसील क्षेत्र के किरठल गांव में रहने वाले गजे सिंह का 18 वर्षीय बेटा अमित चौधरी साल 2011 में शामली जिले में अपनी बड़ी बहन की ससुराल में गया हुआ था. वहां दो पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला हुआ था. जिसमें एक पुलिसकर्मी की दर्दनाक मौत हो गई थी. इस हत्याकांड में कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें बागपत के किरठल गांव के रहने वाले अमित चौधरी को भी जेल भेजा गया था. 


पुलिसकर्मी की हत्या मामले में हुई थी जेल
पुलिसकर्मी की हत्या मामले मे अमित जब जेल गया था. उस समय वह बड़ौत के डीजे कॉलेज में बीए प्रथम का छात्र था. जेल जाने के बाद उसे लगा था कि उसका करियर चौपट हो गया, लेकिन उसने साहस नही छोड़ा. उसे पता था कि वह तो बेगुनाह है और दो वर्ष बाद जब उसे जमानत मिल गई तो उसने अपने मन में ठान लिया, कुछ तो ऐसा करना है कि उसके दामन से हत्या का का ये दाग धुल जाए. 


12 साल लड़ी लंबी कानूनी लड़ाई
फिर क्या था उसने मेहनत ओर लगन से कानून की पढ़ाई कर वकालत की और अपना केस खुद ही लड़ा. अमित चौधरी ने जेल से छूटने के बाद ग्रेजुशन किया. उसके बाद क़ानून की पढ़ाई कर अपना केस खुद ही लड़ा और पैरवी करते हुए लम्बी सुनवाई के 12 साल बाद सितंबर 2023 को न्यायालय ने युवक को दोषमुक्त करार दिया है.


आर्मी में होना चाहता था शामिल 
अमित का कहना है कि उसका सपना था कि वह आर्मी में भर्ती होकर देश की सेवा करे लेकिन इस केस में फंसने के बाद जेल चला गया था. अब उसने अपने में ठान लिया है कि आपराधिक न्याय में पीएचडी कर प्रोफेसर बनना चाहता है.