Meerut News in Hindi: मेरठ में शुक्रवार को पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में भगदड़ से हाथरस हादसे की रूह कंपा देने वाली यादें ताजा हो गईं. अगर हाथरस हादसे के बाद कोई गाइडलाइन पर अमल किया गया होता तो ऐसी नौबत न आती...उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में शुक्रवार को पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में वैसी ही भगदड़ सामने आई, जैसा हाथरस में कुछ महीने पहले देखने को मिला था. इस मामले में भी बाउंसर्स और वॉलंटियर्स की लापरवाही सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि एंट्री गेट पर बाउंसरों ने भक्तों को सैलाब रोका, इस दौरान धक्का मुक्की हुई और लोग एक के ऊपर एक गिरते चले गए. कई महिलाएं और बच्चे नीचे दब गए. हालांकि अभी तक राहत की बात है कि किसी की भी मौत की खबर नहीं है. लेकिन 22 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हाथरस हादसे में इसी तरह जब भोले बाबा के हजारों भक्त उनके चरणों की धूल लेने के लिए हाईवे की ओर बढ़ रहे थे, तब उनके बाउंसरों ने कथित तौर पर भीड़ को रोका था. इसके बाद वहां हाईवे किनारे लोग खाईं में भरे कीचड़ में कुचलते चले गए थे. उस हादसे में 123 लोगों की मौत हो गई थी. इस भगदड़ की न्यायिक जांच के लिए आयोग बना था, लेकिन भोले बाबा का क्लीनचिट मिल गई थी.तब शासन की ओर से ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों के लिए एक गाइडलाइन भी जारी हुई थी, लेकिन वो भी कागजी औपचारिकता बनकर रह गई.


हाथरस सत्संग में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत के बाद एसआईटी ने करीब 300 पन्नों की जांच रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में भगदड़ के पीछे अचानक भीड़ आने के साथ कुछ आयोजकों और सेवादारों को जिम्मेदार ठहराया गया था. एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम, एक सर्किल अधिकारी और चार अन्य अफसरों को निलंबित कर दिया गया था.


सरकार की ओर से धार्मिक कार्यक्रमों को लेकर गाइडलाइन भी जारी की गई थी. इसमें कहा गया था कि ऐसे कार्यक्रमों में भीड़ की अधिकतम सीमा को लेकर पहले ही आगाह किया जाए. पर्याप्त बल वहां तैनात रहे ताकि आयोजकों और वॉलंटियर्स के सहारे सारी व्यवस्था न छोड़ी जाए. एंट्री के पर्याप्त गेट रखे जाएं ताकि भीड़ के आने और जाने में कोई भगदड़ की आशंका न रहे