राजेश मिश्र/मीरजापुर : मीरजापुर में आजादी के 76 साल बाद भी एक गांव पानी की समस्या से जूझ रहा है. पीने के पानी के लिए सुबह तीन बजे से लोग पैदल सफर तय झरने पर पहुंचते हैं घंटों मशक्कत के बाद उन्‍हें पीने के लिए पानी मिल पाता है. पानी की समस्या के चलते लोग अपनी लड़कियों की शादी भी यहां नहीं कर रहे हैं. इससे यहां रहने वाले लड़कों के सामने शादी की समस्या उठ खड़ी हुई है. 


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तीन बजे ही उठकर चल देते हैं पानी लेने 
दरअसल, मीरजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर वाराणसी कन्याकुमारी हाईवे से सटे लहुरियादह गांव में आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी पेयजल की समस्या का नहीं हो सका है. समाधान गर्मी शुरू होते ही लोग सुबह 3:00 बजे से ही उठकर लगभग 2 किलोमीटर पैदल चलकर पहाड़ से नीचे उतारकर झरने के पास पहुंचते हैं और वहां पर नंबर लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. बारी आने पर चलने से रस रहे पानी को साथ लाए बर्तन में भरते हैं और फिर अपने घर की तरफ प्रस्थान करते हैं. 


जनवरी माह से शुरू हो गई दिक्‍कत 
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पहले टैंकर से पानी की आपूर्ति हो जाती थी, परंतु पिछले वर्ष हर घर जल हर घर नल योजना के तहत लोगों के घरों में तक फाइव लाइन दौड़ा कर नल लगा दिए गए और कुछ दिन तक पानी भी आया परंतु जनवरी माह से पानी की दिक्कत शुरू हुई. मार्च से पानी की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो गई है. इसके चलते पानी के लिए प्राकृतिक स्रोत झरने की तरफ जाने को हम मजबूर हैं. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इसी पानी के समस्या के चलते यहां रहने वाले लड़कों की शादियां भी नहीं हो रही हैं.


नई नवेली दुल्‍हन सुबह ही निकल जाती हैं पानी लेने 
अन्य गांव से जिन लड़कियों की शादी हो गई है वह भी घूंघट निकाल कर सुबह से ही पानी की जुगाड़ में लग जाती हैं. गांव की रहने वाली सुनीता ने बताया कि पानी की समस्या के चलते बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है. वहीं गांव के रहने वाले हरि बुजुर्ग हरी लाल ने बताया कि यहां की सांसद अपनी 10 वर्ष पूरी करने वाले हैं और विधायक भी दोबारा चुनकर हम लोगों ने दिया है, परंतु आजादी से बात से अब तक किसी ने भी हमारी समस्या का निराकरण हो पाया. 


डीएम के प्रयास से पहुंची थी योजना 
बता दें कि पूर्व जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के प्रयास से वर्ष 2023 में 29 अगस्त को पहली बार यहां पर नल के द्वारा जल पहुंचा था, परंतु उनके जाने के बाद फिर ग्रामीणों के सामने वही पानी की समस्या मुंह बाए खड़ी है. स्थानीय ग्रामीण ने आरोप लगाया कि सही अधिकारी को लोग रहने नहीं देते उनका कहना है कि पानी के लिए लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पहाड़ के नीचे पैदल जाना पड़ता है और तब कहीं जाकर पानी मिल पाता है.