संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले की जामा मस्जिद को लेकर सियासी घमासान तेज होता जा रहा है. यहां हजारों साल पुराना श्री हरि हर मंदिर होने का हिन्दू संगठनों के दावे और फिर कोर्ट का सर्वे कराने के आदेश से मुस्लिम नेता भड़क उठे हैं. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लंबा चौड़ा पोस्ट लिखकर कहा है बाबरी मस्जिद का इतिहास दोहराया जा रहा है. बाबरी के फैसले से हिन्दू संगठनों को हौसला मिला है. वहीं मौलाना मसूद मदनी ने भी कहा है कि इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं, लेकिन हम सांप्रदायिक साजिश करने वालों को बेनकाब कर देंगे.


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क्या बोले एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी?
अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर किए एक पोस्ट में असदु्द्दीन ओवैसी ने लिखा,"एप्लीकेशन पेश किए जाने के तीन घंटे के भीतर सिविल जज ने मस्जिद की जगह पर शुरुआती सर्वे का आदेश दिया जिससे पता लगे कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर तोड़ा गया या नहीं."


बाबरी मस्जिद का दिया उदाहरण
ओवैसी ने आगे ये भी कहा कि "एक वकील के माध्यम से आवेदन दायर किया गया था जो कि यूपी सरकार का सुप्रीम कोर्ट में स्थायी वकील है. सर्वेक्षण उसी दिन हुआ. उन्होंने लिखा कि अदालत के आदेश के एक घंटे के भीतर बाबरी के ताले भी खोले गए, बिना दूसरे पक्ष को सुने." इस मामले में कुछ इस तरह से ओवैसी ने अपना बयान जारी किया. 


'राष्ट्रीय अखंडता के लिए अनुकूल नहीं'
वहीं दूसरी ओर इस मामले को लेकर जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने गहरी चिंता जताई और कहा कि कि इतिहास के झूठ और सच को मिलाकर देश की शांति और व्यवस्था के सांप्रदायिक तत्व दुश्मन बने हुए हैं. अपने बयान में उन्होंने कहा कि देश की धर्मनिरपेक्ष बुनियादें पुराने गड़े मुर्दे उखाड़ने से हिल रही हैं. इसके अलावा ऐतिहासिक संदर्भों को दोबारा वर्णित करने के प्रयास राष्ट्रीय अखंडता के लिए अनुकूल किसी भी तरह नहीं हैं.


मदनी ने धैर्य व सहनशीलता की बात की 
मौलाना मदनी ने ये भी उम्मीद जताई कि जामा मस्जिद की रक्षा के लिए मस्जिद इंतेजामिया कमेटी हर संभव प्रयास करेगी. आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो जमीअत-ए-उलमा हिंद कानूनी कार्रवाई में मदद के लिए तैयार है. देश के सभी नागरिकों से जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कानून-व्यवस्था की स्थापना के लिए धैर्य व सहनशीलता बनाने व ऐसे कदम न उठाने के लिए कहा जिससे संप्रदायिक शक्तियों के षडयंत्र सफल हों. 


क्या है मामला?
दरअसल, जामा मस्जिद के श्रीहरिहर मंदिर होने का हिंदू पक्ष ने दावा किया और मामले में हिंदू पक्ष कोर्ट पहुंचा जिस पर कोर्ट ने पूरे परिसर का सर्वे का आदेश दे डाला. और तो और कोर्ट ने 29 नवंबर तक इस बारे में रिपोर्ट भी मांग ली. बीते मंगलवार देर शाम को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में टीम ने मस्जिद के भीतर सर्वे किया और पूरे परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी इस दौरा न टीम ने की. परिसर की स्थिति तनावपूर्ण थी. वहीं जैसे ही सर्वे की जानकारी हुई मुस्लिम पक्ष पूरी तरह नाराज हो गया. लोग मस्जिद के इर्द-गिर्द व छतों पर जमा होने लगे और प्रशासन ने मस्जिद के पास से वादी महंत ऋषिराज को हटा दिया. 


क्या है जामा मस्जिद का विवाद?
महंत ऋषिराज गिरि ने दावा किया है कि वर्ष 1529 में हरिहर मंदिर को तोड़कर मुगल बादशाह बाबर ने जामा मस्जिद बनवाई. ऐसे में हिंदुओं को अब मस्जिद कैंपस में पूजा-पाठ करने का आदेश दिया जाए. हिंदू पक्ष की मान्यता है कि इसी जगह पर भगवान के दसवें अवतार भगवान कल्कि का अवतार होने वाला है. 


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