UP Nikay Chunav 2023: यूपी में 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 546 नगर पंचायतों में चुनाव हो रहे हैं. इस बार निकाय चुनाव में बरेली नगर निगम चुनाव सुर्खियों में है. इसकी वजह यह है कि सपा ने यहां से अपने प्रत्‍याशी का नाम वापस लेकर निर्दलीय उम्‍मीदवार का समर्थन कर रही है. यहां सपा और बसपा में सीधे टक्‍कर मानी जा रही है. ऐसे में आइये एक नजर डालते हैं बरेली नगर निगम के इतिहास पर... 


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32 साल पहले हुआ था गठन 
बरेली नगर निगम का गठन साल 1994 में हुआ. 32 साल के इतिहास में यहां से भाजपा ने 3 बार विजय प्राप्‍त की. वहीं, सपा दो बार मेयर की सीट पर कब्‍जा करने में कामयाब रही है. कांग्रेस अपना मेयर एक बार बनाने में ही सफल रही है. अगर बात बसपा की करें तो वह अभी तक खाता नहीं खोल सकी है. 


नगर प्रमुख से मेयर तक का सफर   
बरेली नगर निगम गठन होने के समय यहां नगर प्रमुख का पद हुआ करता था. पहली बार यहां से भाजपा के राजकुमार नगर प्रमुख बनाए गए. इसके बाद 1995 में यह सीट अन्‍य पिछड़ा वर्ग के खाते में चली गई. भाजपा के सुभाष पटेल नगर प्रमुख बनाए गए. साल 2000 में नगर प्रमुख की जगह इसका नाम मेयर हो गया. 


2012 में सपा का कब्‍जा रहा 
उसी दौरान ओबीसी सीट से डॉ. आईएस तोमर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और जीत भी गए. जीत के बाद वह समाजवादी पार्टी का हाथ थाम लिया. 2005-06 में सामान्य वर्ग की महिला सीट हुई तो यहां से कांग्रेस ने पहली बार खाता खोला और कांग्रेस की सुप्रिया ऐरन ने जीत हासिल की. 2012 में यह सीट सामान्य के खाते में चली गई. इस बार सपा से डॉ. आईएस तोमर मेयर चुने गए. 


भाजपा से उमेश गौतम चुनाव मैदान में 
साल 2017 में यहां से भाजपा ने उमेश गौतम को चुनाव लड़ाया. उमेश गौतम ने जीत हासिल की. इस बार भी भाजपा ने उमेश गौतम को प्रत्‍याशी बनाया है. वहीं, सपा ने पहले संजीव सक्‍सेना को आपना प्रत्‍याशी बनाया था. बाद में संजीव सक्‍सेना ने नामांकन के बाद अपना नाम वापस ले लिया. सपा ने निर्दलीय प्रत्‍याशी डॉ. आईएस तोमर का समर्थन करने का फैसला किया है. 


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