Lucknow Nagar Nigam Chunav 2023 : लखनऊ नगर निगम और उसके दायरे में आने वाली आठ नगर पंचायतों के लिए गुरुवार को मतदान हुआ. हालांकि मतदान की रफ्तार 11 बजे तक सुस्त ही दिखी. उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने खुद राजधानी में मोर्चा संभाले रखा और सुबह मतदान किया. देखना होगा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आखिरी दौर में दो दिन मेट्रो की सवारी, गोमती नदी किनारे प्रेस कान्फ्रेंस करना चुनाव में कितना असर डालेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी लखनऊ में वोट डाला.


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बीजेपी आश्वस्त है कि डबल इंजन सरकार में मेट्रो, सड़क, ओवरब्रिज, एक्सप्रेसवे जैसे विकास कार्यों से जनता फिर उनके सिर सेहरा बांधेगी. सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पहले ही राजधानी में प्रचार कर चुके हैं. संगठन की इसी मजबूत पकड़ की बदौलत भाजपा ने लखनऊ से पहली बार मेयर बनने का गौरव हासिल करने वालीं संयुक्ता भाटिया की जगह पार्टी कार्यकर्ता सुषमा खरकवाल को कमल चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतारा है. लखनऊ से सपा ने वरिष्ठ पत्रकार रहीं वंदना मिश्रा को टिकट दिया है. सपा ने लखनऊ उत्तर विधानसभा सीट से उम्मीदवार रहे मोहम्मद सरवर मलिक की पत्नी शाहीन बानो को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस से संगीता जायसवाल और आम आदमी पार्टी से अंजू भट्ट मैदान में हैं.  


लेकिन कांग्रेस, बसपा और सपा महापौर और नगर पंचायतों के चुनाव में बीजेपी को कितनी चुनौती दे पाएगी, ये देखना होगा.बीजेपी नगर निगम चुनाव जीतने के प्रति आश्वस्त नजर आ रही है, उसका जोर तो पार्षदों की संख्या बढ़ाने पर है. लखनऊ नगर निगम में 2017 के चुनाव में  बीजेपी के 58 पार्षद थे, जो 2012 के मुकाबले 14 ज्यादा थे. 110 वार्ड वाले सदन में बीजेपी इस बार अपने सभासदों की संख्या को 70-75 के ऊपर ले जाना चाहती है. 


बीजेपी की दूसरे दलों में सेंधमारी
निकाय चुनाव के ठीक पहले केके सचान, गिरीश चंद्र मिश्रा जैसे दूसरे दलों के नेताओं को उसने पार्टी में शामिल कराया. मिश्रा की पत्नी को सरदार पटेल-रामजी लाल वार्ड से टिकट दिया गया है. सपा से अजय त्रिपाठी मुन्ना और कांग्रेस से मेयर प्रत्याशी रहे दिलप्रीत सिंह से भी बीजेपी के वोटबैंक को बढ़ाने में मदद मिलेगी.हरदीनराय वार्ड से कांग्रेस पार्षद रहे अजय दीक्षित ने भी बीजेपी का दामन थामा है. सपा से 2022 में विधानसभा चुनाव लड़े सुरेंद्र सिंह  (राजू गांधी) की पत्नी को चारबाग से पार्षद टिकट मिला है.


दलबदलुओं को टिकट
 मोती लाल नेहरू वार्ड से पार्षद चरनजीत गांधी के अलावा समाजवादी पार्टी के पार्षद तारा चंद रावत और उनकी जिला पंचायत सदस्य रहीं पत्नी पलक रावत को भाजपा में लाया गया. शिवपाल सिंह यादव की पुरानी पार्टी प्रसपा के पार्षद अजय अवस्थी भी कमल चुनाव चिन्ह थाम चुके हैं. पार्षद स्तर पर भी बीजेपी की दूसरे दलों में सेंधमारी दिखाती है कि वो जीत का दायरा बढ़ाने को लेकर कितनी गंभीर है. 


राजधानी लखनऊ में 8 नगर पंचायत
राजधानी लखनऊ में कुल आठ नगर पंचायत हैं. इसमें मलिहाबाद, काकोरी, अमेठी, गोसाईंगंज, नगराम, बीकेटी नगर पंचायत, महोना और इंटौजा शामिल हैं. इन आठ नगर पंचायतों में कुल 96 वार्ड हैं .इनमें से 37 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. 


2017 का नगर निगम महापौर परिणाम
मेयर के लिए BJP प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया 1.31 लाख मतों से जीतीं. समाजवादी पार्टी प्रत्याशी मीरा वर्धन से दूसरे स्थान पर रहीं संयुक्ता भाटिया को 3.77 लाख वोट मिले थे, जबकि सपा प्रत्याशी को 2.45 लाख वोट हासिल हुए थे. तीसरे स्थान पर कांग्रेस और चौथे स्थान पर बसपा रही थी.2012 में बीजेपी प्रत्याशी डॉक्टर दिनेश शर्मा ने 3.35  लाख वोट पाने के साथ करीब 1.71 लाख वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. 


2012 -बीजेपी के दिनेश शर्मा जीते
बीजेपी के मेयर पद के प्रत्याशी डॉ. दिनेश शर्मा 1 लाख वोट से महापौर चुनाव जीते. कांग्रेस उम्मीदवार नीरज बोरा दूसरे स्थान पर रहे.2012 में दिनेश शर्मा ने कांग्रेस के डॉ. मंजूर अहमद को करीब 10 हजार वोटों के अंतर से हराया था.


कुल 110 पार्षद नगर निगम में 
2017 - 58 पार्षद
2012 -  44 पार्षद


लखनऊ में लंबे वक्त तक कांग्रेस का कब्जा रहा
1960 में लखनऊ नगर पालिका परिषद के वक्त से अखिलेश दास तक यहां कांग्रेस का वर्चस्व रहा. नगर पालिका परिषद के लिए तब सबसे पहले नगर प्रमुख कांग्रेस प्रत्याशी राज कुमार श्रीवास्तव निर्वाचित हुए थे. राजकुमार श्रीवास्तव 1960 से फरवरी 1961 तक नगर प्रमुख के पद पर रहे. तब नगर प्रमुख का चुनाव पार्षद के जरिये होता था.


कांग्रेस से बने लखनऊ नगर प्रमुख


गिरिराज रस्तोगी : 2 फरवरी 1961 से 1 मई 1962
 डॉक्टर पुरुषोत्तम दास कपूर : 2 मई 1962 से 1 मई 1964 
कैप्टन वीआर मोहन : 2 मई 1964 से 1 मई 1965
ओम नारायण बंसल : 2 मई 1965 से 30 जून 1966
मदन मोहन सिंह सिद्धू : 4जुलाई 1968 से 30 जून 1969
बालकराम वैश्य : 1 जुलाई 1969 से 30 जून 1970
बेनी प्रसाद हलवासिया : 1 जुलाई 1970 से 30 जून 1971


पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी की जीत
आजादी के बाद आठ बार कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत के बाद जुलाई 1971 में निर्दलीय उम्मीदवीार डॉक्टर दाऊजी गुप्ता लखनऊ नगर प्रमुख बने. वो यहां लगातार तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर जीते थे.दाऊजी के लंबे कार्यकाल के बाद 13 मई 1993 के बाद अखिलेश दास दो साल नगर प्रमुख रहे.


राम मंदिर आंदोलन के बाद बदला माहौल
राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव कह लें तो 1995 में लखनऊ नगर निगम कमल के हाथों में चला गया. लखनऊ नगर निगम महापौर के चुनाव में 01 दिसंबर 1995 को डॉक्टर एससी राय नगर प्रमुख चुने गए. वर्ष 2000 वो दोबारा चुने गए. 


एससी रॉय लखनऊ के पहले महापौर
डॉक्टर एससी राय को लखनऊ का पहला महापौर बनने का सौभाग्य मिला. उनके कार्यकाल में ही लखनऊ नगर पालिका परिषद को नगर निगम को दर्जा मिला और उनका सीधे निर्वाचन हुआ. वर्ष 2002 में डॉक्टर एससी राय को जनता ने लखनऊ का पहला महापौर चुना और 2006 तक वो पद पर रहे.


 


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