Kasganj Nikay Chunav Result 2023: कासगंज में क्या बागियों ने बिगाड़ा BJP और SP का खेल, काउंटिंग शुरू
Kasganj Nikay Chunav Result 2023: कासगंज में दस निकायों के लिए 11 मई को हुए मतदान में इस बार 59.94 फीसदी लोगों ने वोट डाले गए थे. यह वर्ष 2017 के मुकाबले 5.85 प्रतिशत कम रहा. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने यहां निकाय चुनाव के जरिए पूरी ताकत झोंक दी थी. आइए जानते हैं बीजेपी, सपा और बीएसपी का कैसा प्रदर्शन जिले में रहा.
Kasganj Nikay Chunav Result 2023: जिले की 3 नगर पालिकाओं कासगंज, सोरों व गंजडुंडवारा में इस बार बीजेपी और सपा के अलावा निर्दलीय भी अच्छी टक्कर दे रहे हैं. वोटों की शुरुआती काउंटिंग के बाद यही संकेत मिल रहे हैं. यहां 9-9 सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं. नगर पंचायत भरगैन व सहावर में 5-5 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. वहीं विलराम, मोहनपुर, सिढ़प़ुरा, पटियाली, अमांपुर नगर पंचायतों में महिलाओं के लिए 4-4 वार्ड चुनाव लड़ने के लिए आरिक्षत किए गए हैं. यहां तीन नगर पालिका परिषदों में जीत हासिल करना बीजेपी के लिए चुनौती से कम नहीं है. 2017 में सोरो और गंजडुंडवारा में अध्यक्ष पद पर बीजेपी की जीत हुई थी. लेकिन कासगंज नगर पालिका परिषद में बीजेपी को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था.
बागी उम्मीदवारों ने दिलचस्प बनाया चुनाव
कासगंज नगर पालिका परिषद के चुनाव में बीजेपी की ओर से मीना माहेश्वरी को प्रत्याशी बनाया है.समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी की बागी और निर्दलीय प्रत्याशी शशिलता चौहान को अपना समर्थन दिया है.कांग्रेस ने सोनवती कश्यप को मैदान में उतारा है, वहीं कासगंज की निवर्तमान चेयरमैन रजनी साहू भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में लड़ रहे हैं. लेकिन बीजेपी से बागी हुई शशिलता चौहान ने कासगंज नगर पालिका परिषद के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. कासगंज में निकाय चुनाव में प्रशासन आसमान पूरी तरह मुस्तैद नजर आया था. जिले में शांतिपूर्ण वोटिंग के लिए प्रशासन ने छह ड्रोन की व्यवस्था की थी. इन ड्रोन ने सभी 294 बूथों को कवर किया.
कासगंज की तीन नगर पालिका परिषद में जीत हासिल करना बीजेपी के लिए साख का मुद्दा है. पिछले चुनाव में भी यहां कासगंज नगर पालिका में बीजेपी को निर्दलीय प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा था. निर्दलीय प्रत्याशी रजनी साहू ने यहां बीजेपी को पराजित किया था. उन्हें 48.6 फीसदी वोट मिले थे. जबकि बीजेपी को 25.5 फीसदी वोट से ही संतोष करना पड़ा था. इस बार बीजेपी ने पार्टी के भीतर गुटबाजी कम करने पर भी खास जोर दिया.