UP Nagar Nikay Chunav: यूपी नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है. यूपी सरकार ने गुरुवार को आरक्षण सूची जारी कर दी इसके बाद से नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव का रास्‍ता साफ हो गया है. छह अप्रैल तक इस पर आपत्तियां दी जा सकती हैं. आपत्तियां आने और उनका निस्तारण के बाद आखिरी लिस्ट जारी की जाएगी. 17 नगर निगमों में से आठ अनारक्षित हैं. नगर निगम में काशी, अयोध्या, प्रयागराज, मथुरा समेत आठ नगर अनारक्षित हैं.मेरठ में मेयर आरक्षण के बाद नगर निगम के सभी 90 वार्डों में आरक्षण की लिस्ट भी जारी हो गई है. मेरठ महापौर सीट ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित रखी है.  नगर पालिका मवाना अनारक्षित और सरधना नगर पालिका पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित की गई है.


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पहले पिछड़ा वर्ग के लिए रिजर्व थी महापौर सीट
बता दें कि महापौर सीट पहले भी पिछड़ा वर्ग के लिए रिजर्व थी.  जिसके चलते पार्टियों में ओबीसी वर्ग के दावेदारों ने अप्लाई किया था. आपको  बता दें सुप्रीम कोर्ट द्वारा निकाय चुनाव को हरी झंडी मिलने के बाद दोबारा से आरक्षण सूची जारी किया गया है.  मेरठ में मेयर पद भी पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है. 


इन सीटों पर डालें नजर
अगर बात मेरठ की नगर पंचायतों की बात करें तो हस्तिनापुर अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित की गई है.  दौराला अनारक्षित,परीक्षितगढ़ अनारक्षित ,करनावल पिछड़ा वर्ग ,खरखौदा अनारक्षित,फलावदा पिछड़ा वर्ग और लावड़ पिछड़ा वर्ग महिला के आरक्षित की गई है.बहसूमा अनुसूचित जाति जबकि सिवालखास महिला, किठौर महिला और हर्रा नगर पंचायत अनारक्षित रखी गई है.  इन सीटों के आरक्षण को लेकर किसी को आपत्ति है तो वह 6 अप्रैल की शाम 6 बजे तक आपत्ति कर सकता है. इसके बाद फाइनल आरक्षण सूची जारी होगी.



बिगड़े उम्मीदवारों के समीकरण
निकाय चुनाव की तारीख अभी तय नहीं है.  सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद जारी की गई आरक्षण सूची में काफी बदलाव हुए. आरक्षण में इन बदलाव चलते निकाय चुनाव की तैयारी कर रहे भावी कैंडीडेट को झटका लगा.मेरठ में नगर निगम के महापौर सीट के लिए भाजपा में काफी मारामारी मची हुई है.


यूपी में 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका और 545 के करीब नगर पंचायत सीटें हैं. पिछली बार 5 दिसंबर 2022 को आरक्षण की अनंतिम सूची जारी की गई थी. इसके बाद यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष चला गया था. इसमें ओबीसी आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप ट्रिपल टेस्ट के फार्मूले का पालन न करने की बात कही गई थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को 31 जनवरी तक बिना आरक्षण के चुनाव कराने को कहा था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से योगी सरकार को राहत मिली थी. सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया था. जिसने ढाई महीने में ओबीसी आरक्षण को लेकर अपनी रिपोर्ट दी. 


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