OBC Politics in UP : उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर मचा सियासी घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है. समाजवादी पार्टी, बसपा नगर निकाय चुनाव (Nagar Nikay Chunav 2022) पर हाईकोर्ट के फैसले को हथियार बनाकर बीजेपी (BJP) को आरक्षण विरोधी साबित करने पर तुली हुई है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) ही उत्तर प्रदेश में सत्ता की दहलीज तक पहुंचने का भरोसेमंद रास्ता माना जाता है. मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह ने इसी पिछड़ा वर्ग राजनीति को धार देकर लंबे समय तक प्रदेश में अपनी साख कायम रखी. ओबीसी में यादव, कुर्मी, पटेल, मौर्य, कुशवाहा, सैनी, लोधी, निषाद, साहू, जायसवाल जैसी तमाम जातियां आती हैं, जिनका कुल वोटबैंक 54 फीसदी के करीब है. 


यूपी में ओबीसी का सियासी गणित...


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यादव : 10%
कुर्मी-पटेल : 7%
कुशवाहा, मौर्य-शाक्य : 6%
लोध : 4%
पाल : 3%


आय़ोग का 24 घंटे में गठन
पिछड़ा वर्ग को लेकर बीजेपी राजनीतिक रूप से कितनी संवेदनशील है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का फैसला आने के 24 घंटे के भीतर ही उसने पांच सदस्यीय आयोग का गठन कर दिया. माना जा रहा है कि पिछड़ी जातियों के जिलेवार सर्वे के बाद अति पिछड़ा वर्ग (EBC) का मुद्दा भी उभर सकता है.


6 माह का कार्यकाल
स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर सेवानिवृत्त जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में आयोग गठित किया गया है. इसकी अधिसूचना 28 दिसंबर को ही जारी कर दी गई है. आयोग का कार्यकाल 6 महीने रखा गया है. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही यूपी निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण तय किया जाएगा. 


Triple Test फार्मूला लागू कराने का दारोमदार
ओबीसी आयोग में रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह के अलावा 4 सदस्य होंगे. इसमें सेवानिवृत्त IAS चोब सिंह वर्मा, पूर्व आईएएस महेंद्र कुमार, विधि सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और पूर्व अपर विधि सलाहकार एवं अपर जिला जज बृजेश कुमार सोनी को आयोग का सदस्य बनाया गया है. ये आयोग निकाय चुनाव 2022 में ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट फार्मूले को लागू करेगा. फिर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा. इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय करेगी.


मुलायम सिंह पिछड़ों की राजनीति के धुरंधर रहे
समाजवादी पार्टी के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव ने न केवल यादव वोटबैंक को साधा. बल्कि बेनी प्रसाद वर्मा जैसे अन्य ओबीसी जातियों के नेताओं को साधा.अखिलेश यादव ने भी लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे पिछड़े नेताओं को जोड़कर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की कोशिश की. मुलायम सिंह ने 17 अति पिछड़ा वर्ग की जातियों को दलित का दर्जा दिलाने का वादा भी किया था.


कल्याण सिंह को भी मिली पहचान
बीजेपी में लोध समाज से आने वाले कल्याण सिंह सबसे बड़े ओबीसी नेता के तौर पर उभरे. प्रेमलता कटियार, विनय कटियार, उमा भारती जैसे नेता मंडल-कमंडल दोनों की राजनीति में फिट बैठे. बीजेपी ने 2014 से मंडल की राजनीति को जिस तरह हिन्दुत्व में समाहित कर यूपी में सपा-बसपा, कांग्रेस के सारे समीकरण ध्वस्त कर दिए.


बीजेपी ने छोटे दलों संग किया गठबंधन
क्षत्रिय मुख्यमंत्री और संगठन में शीर्ष पदों पर सवर्ण नेताओं के बीच पार्टी ने अपना दल, निषाद समाज और ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा को अपने पाले में लाकर पटेल, निषाद औऱ राजभर जैसी जातियों को भरोसा हासिल किया. यही वजह है कि 2022 के पहले स्वामी प्रसाद, दारा सिंह जैसे बड़े नेताओं के पाला बदलने का भी फर्क चुनाव में नहीं पड़ा. बीजेपी 255 सीटों के साथ दोबारा सत्ता में आई. 


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