Nagar Nikay Chunav : ओबीसी आरक्षण का नया फार्मूला दावेदारों की दिल की धड़कनें बढ़ा रहा, यूपी नगर निकाय चुनाव के पहले अटकलें तेज
OBC Reservation : पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी आरक्षण को लेकर जो सर्वे किया है और नया फार्मूला दिया है. इसको लेकर यूपी नगर निकाय चुनाव के बीजेपी, सपा और अन्य दलों के उम्मीदवारों में हलचल तेज है.
UP Nagar Nikay Chunav 2023 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव को लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ सरकार को सौंप दी है. लेकिन ये रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली साबित हो सकती है.सूत्रों का कहना है कि आयोग ने अलग-अलग निकायों के लिए वहां पहले मिले राजनीतिक आरक्षण के आधार पर अलग-अलग ओबीसी कोटे की सिफारिश की है. सूत्रों का कहना है कि निकाय चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिए गठित उत्तर प्रदेश राज्य समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने निकायवार ओबीसी की आबादी की राजनीतिक स्थिति के आकलन के आधार पर 20 से 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की है। इसके लिए 1995 के बाद हुए निकायों के चुनाव के परिणामों को आधार बनाया गया है.
सूत्रों का कहना है कि सभी निकायों के परीक्षण के बाद आयोग ने अलग- अलग निकायों के लिए अलग-अलग आरक्षण देने की सिफारिश की है. नगर विकास विभाग इस संदर्भ में स्थितियों का आकलन करके आरक्षण का प्रतिशत तय करेगा.नगर विकास विभाग जब अनंतिम आरक्षण सूची जारी करेगा तो ये नगर निगम नगरपालिका और नगर पंचायतों में टिकट के दावेदारों के लिए चौंकाने वाा निर्णय साबित हो सकती है. ऐसे में आरक्षण को लेकर दोबारा मामला अदालत पहुंच न जाए.
27 फीसदी आरक्षण होगा
आयोग की सिफारिशों के अनुसार, यह तय करना होगा कि नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के कुल 752 निकाय सीटों पर न्यूनतम 27 फीसदी आरक्षण पिछड़ों को मिले. पांच सदस्यीय आयोग के अध्यक्ष राम अवतार सिंह पहले ही जी न्यूज से खास बातचीत में यह स्वीकार कर चुके हैं कि रैपिड टेस्ट की मौजूदा आरक्षण प्रक्रिया सही नहीं थी. तमाम जगह सीटें 30-40 वर्षों से एक वर्ग को ही आरक्षित होती चली आ रही थीं. ऐसे में चक्रानुक्रम आरक्षण यानी रोटेशन के आधार पर आरक्षण में गड़बड़ियां थीं. इसमें सुधार के लिए सिफारिशें 350 पेज की रिपोर्ट में की गई हैं.
नगर विकास विभाग ने 5 दिसंबर को मेयर और नगरपालिका अध्यक्षों और पार्षदों यानी सभासदों की सीटों के लिए आरक्षण सूची जारी की थी. इसमें गलत तरीके से आरक्षण का आरोप लगाते हुए तमाम पक्ष कोर्ट चले गए थे. यह भी कहा गया था कि 2011 जनगणना के जातिगत आंकड़ों के आधार पर रैपिड सर्वे हुआ था, जो सही नहीं था.
ज्यादातर जिलों में मिली खामियां
सूत्रों के अनुसार, पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर ओबीसी आयोग ने करीब 50 जिलों में आरक्षण का परीक्षण किया था, जिसमें गड़बड़ियां मिली हैं.सूत्र कहते हैं कि लखनऊ, बरेली, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, गाजियाबाद, गोरखपुर, बरेली, मैनपुरी, बहराइच, इटावा समेत एक दर्जन से ज्यादा जिलों में खामियां मिली हैं.
महापौर, नगरपालिका अध्यक्ष की सीटों में बदलाव
माना जा रहा है कि नए नियमों और सिफारिशों को लागू किया गया तो लखनऊ कानपुर या अन्य नगर निगमों में महापौर, नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष के साथ पार्षदों की सीटों के आरक्षण में बड़ा उलटफेर दिखाई देगा.आयोग ने पाया कि आरक्षण में चक्रानुक्रम प्रणाली का ठीक से पालन न किए जाने से तमाम सीटों को लगातार कई चुनावों में एक ही वर्ग के लिए आरक्षित किया जा रहा था. ओबीसी गणना के लिए पहले हुए रैपिड सर्वे में भी विसंगतियां पाई गईं
नगर विकास विभाग में सरगर्मी तेज
नगर विकास विभाग आयोग की रिपोर्ट में मिले सुझावों की समीक्षा कर रहा है और नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया को तैयार करने में जुटा है. विभाग इसके लिए आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा है। विभाग की कोशिश है कि सुप्रीम कोर्ट से कोई फैसला आने से पहले सभी खामियों तो दूर कर लिया जाए, ताकि कोर्ट से अनुमति मिलते ही चुनाव प्रक्रिया शुरू की जा सके।
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