लखनऊ: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के जरिए बीजेपी 'मिशन 2024' को साधने की तैयारी कर रही है. पार्टी आगामी स्थानीय निकाय चुनाव में रणनीति बदलने जा रही है. पार्टी का प्लान मुस्लिम बहुल इलाकों में कमल खिलाने का है. निकाय चुनाव में मुस्लिमों को टिकट देना बीजेपी की सियासत का हिस्सा और जरूरत दोनों है. समझिए पूरा गणित...


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बता दें, उत्तर प्रदेश में लगभग 60 नगर पंचायत और नगरपालिका की सीटें हैं, जो मुस्लिम बाहुल्य हैं. 2012 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में 30 प्रतिशत से अधिक नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष मुस्लिम बने थे. प्रदेश में 1200 से अधिक ऐसे वार्ड हैं, जहां अल्पसंख्यक वोटर बड़ी संख्‍या में हैं. बीजेपी ने 2017 के निकाय चुनाव में 13 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि, वेस्ट यूपी में ही 3-4 उम्मीदवारों को जीत हासिल हो सकी थी. लखनऊ नगर निगम के हुसैनाबाद वॉर्ड के भी एक पार्षद सपा से भाजपा में शामिल हो गए थे. 


इससे पहले 2012 में पार्टी ने 5,148 वॉर्डों में महज 842 में ही उम्मीदवार उतारे थे.कई मुस्लिम बहुल वॉर्डों में बीजेपी का कोई उम्मीदवार नहीं था. वहीं, नगर निगमों में 980 पार्षद पदों की तुलना में 844 पर ही बीजेपी ने चुनाव लड़ा था. वाराणसी नगर निगम की 90 में 78 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे गए थे, क्योंकि मुस्लिम बहुल वॉर्डों के लिए पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं थे.


यूपी के इन जिलों में अहम है 'मुस्लिम फैक्टर'
यूपी में 24 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की संख्या 20% से ज्यादा है. संभल, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, बहराइच, मुजफ्फरनगर, बलरामपुर, मेरठ, अमरोहा, रामपुर, बरेली, श्रावस्ती में मुस्लिम आबादी 35% से 52% तक है. बात केवल नगर पंचायतों की करें तो अलीगढ़, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, संभल, शामली सहित कई जिलों में मुस्लिम वोटर बहुतायत में हैं.


क्या है बीजेपी का 2024 से पहले निकाय चुनाव की जीत वाला प्लान
अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने जा रही बीजेपी ने नगर निकाय चुनाव को लेकर शनिवार को बड़ी बैठक की. सूत्रों के मुताबिक पार्टी का प्लान अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारने का है. जानकारी के मुताबिक पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने जिताऊ कैंडिडेट्स की लिस्ट तैयार करना शुरू कर दिया है. जल्द ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा के साथ इसको लेकर बैठक भी कर सकते हैं. इसके अलावा पार्टी का फोकस परिवाद से दूरी बनाने के साथ-साथ परफॉर्मेंस के आधार पर टिकट तय करने का है.