...तो तीन महीने टल जाएंगे नगर निकाय चुनाव, ओबीसी आरक्षण का मसला हाईकोर्ट में लटका
UP Nagar Nikay Chunav 2022 : नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होनी है सुनवाई. सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकीं.
UP Nagar Nikay Chunav 2022 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव 2022 में आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होनी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं. कोर्ट अगर याचिकाकर्ताओं के हक में फैसला सुनाता है तो ऐसे में चुनाव 2 से 3 महीने के लिए टल सकता है. वहीं, अगर कोर्ट सरकार के पक्ष में फैसला देता है तो चुनाव प्रक्रिया हरी झंडी मिल जाएगी.
सरकार पर यह है आरोप
बता दें कि नगर निकाय चुनाव को लेकर जारी आरक्षण सूची पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. याचिकाकर्ताओं ने पांच दिसंबर 2022 की अधिसूचना को चुनौती दी. इसमें राज्य ने सोमवार शाम तक आरक्षण तय करने पर आपत्ति मांगी थी. याचिकाकर्ताओं ने प्रदेश सरकार पर नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन नहीं करने का आरोप लगाया था.
ऐसी स्थिति में क्या होगा
याचिका में कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय ने इसी साल सुरेश महाजन के मामले में दिए गए निर्णय में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण जारी करने से पहले तिहरा परीक्षण किया जाएगा. यदि तिहरा परीक्षण की औपचारिकता नहीं की जा सकती है तो अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे.
सरकार की दलीलों पर होगा निर्णय
याचिका का प्रदेश सरकार ने विरोध करते हुए कहा कि इससे चुनाव कराने में देरी होगी. यह भी दलील दी गई कि 5 दिसंबर की अधिसूचना का एक मसौदा अधिसूचना है, याची या जो भी व्यक्ति इससे असंतुष्ट हैं वे आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं. इसके बाद कोर्ट ने प्रदेश सरकार की इस दलील से असंतुष्ट होकर चुनावी अधिसूचना के साथ-साथ 5 दिसंबर के उक्त मसौदा अधिसूचना (ड्राफ्ट नोटिफिकेशन) पर भी अंतरिम रोक लगा दिया था.
बोर्ड परीक्षा बड़ी बाधा
पूरे मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. इसके लिए मंगलवार की तारीख तय की गई. जानकारों का कहना है कि अगर कोर्ट सरकार के जवाब से दोबारा असंतुष्ट हुई तो चुनाव टलने की पूरी संभावना है. जानकारों का कहना है कि फरवरी में बोर्ड परीक्षा है, ऐसे में बोर्ड परीक्षा के बाद ही चुनाव प्रक्रिया पूरी हो सकेगी. वहीं, अगर सरकार की दलीलों से कोर्ट संतुष्ट रहा तो इसे जल्द से जल्द कराने की कोशिश की जाएगी.
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राजनीतिक पार्टियां भी फैसले के इंतजार में
नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी अभी चुप्पी साधी हैं. भारतीय जनता पार्टी 14 दिसंबर से 5 दिनों का आंतरिक सर्वे करा रही है. इसमें सभी नगर निगम और नगरपालिका में बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों, मौजूदा नगर निकाय प्रमुख की ताकत-कमजोरी और जनता के बीच उनकी छवि को परखा जा रहा है. ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही BJP प्रत्याशियों की सूची जारी कर सकती है. वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी बड़े नेताओं से नामों की सूची पर गहन मंथन कर रहे हैं. सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है.