नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर यूपी सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में मंजूर, हाईकोर्ट के फैसले को दी गई है चुनौती
UP Nagar Nikay Chunav 2022 : योगी आदित्यनाथ सरकार ने नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर यूपी सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. याचिका में ओबीसी आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है.
UP Nagar Nikay Chunav 2022 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण के बिना नगर निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के खिलाफ दायर यूपी सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 4 जनवरी को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट से याचिका स्वीकार होने का सरकार के लिए राहत माना जा रहा है. ऐसे में योगी सरकार उच्चतम न्यायालय में बता पाएगी कि उसने 1993 के बाद से चली आ रही रैपिड टेस्ट प्रक्रिया का पाल किया है. उसने हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत 24 घंटे में ही अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग भी गठित कर दिया है, ताकि ट्रिपल टेस्ट के फार्मूले के आधार पर उन्हें सीटें आरक्षित की जा सकें.
सरकार ने 5 दिसंबर को नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों के लिए आरक्षण की घोषणा की थी. इसमें 17 नगर निगम, 200 नगरपालिका और 545 नगर पंचायतों के लिए चुनाव होना था. हालांकि हाईकोर्ट ने रैपिड टेस्ट के आधार पर आऱक्षण की दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया का पालन करते हुए 31 जनवरी तक चुनाव कराए.
सरकार ने जो पांच सदस्यीय आयोग गठित किया है, उसकी पहली बैठक भी हो चुकी है. आयोग का कहना है कि वो ढाई से तीन महीने में रिपोर्ट सौंप सकता है और पूरी प्रक्रिया के पालन में 6 माह का समय लग सकता है. ऐसे में जून-जुलाई से पहले चुनाव के आसार नहीं लग रहे हैं.हालांकि सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उसकी दलीलों को तर्कसंगत मानकर रैपिड टेस्ट के आधार पर ही स्थानीय निकाय चुनाव कराने की इजाजत दे सकता है. ऐसे में वो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश औऱ तमिलनाडु में ओबीसी आरक्षण को लेकर दिए गए फैसलों को भी आधार बना सकता है.
अगर सुप्रीम कोर्ट रैपिड टेस्ट (Rapid Test) के आधार पर चुनाव न कराने और ट्रिपल टेस्ट (Triple Test)की प्रक्रिया को हर हाल में पूरा करने की बात कहता है तो सरकार इसके लिए मोहलत मांग सकती है, ताकि 31 जनवरी तक आरक्षण प्रक्रिया पूरे करने के हाईकोर्ट के फैसले को लेकर कुछ अवमानना न हो. हालांकि सरकार फरवरी-मार्च-अप्रैल में शायद ही चुनाव करा पाए, क्योंकि यूपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं और परिणामों को देखते हुए शिक्षकों औऱ अन्य कर्मचारियों को निर्वाचन कार्य में लगा पाना संभव नहीं होगा.
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