यूपी नगर निकाय चुनाव आरक्षण 2022 : नए सिरे से रिजर्वेशन से नगर निगम, नगर पालिका से लेकर वार्डों तक बदल जाएगा गणित
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव आरक्षण को लेकर सुगबुगाहट फिर शुरू हो गई है. सूत्रों के मुताबिक,नगर निकाय चुनाव में नए सिरे से आरक्षण तय किए जाने की तैयारी है.2017 के पिछले चुनाव के आधार पर आरक्षण का फार्मूला अभी तय नहीं है.2017 में 653 सीटों पर चुनाव हुआ था.
UP Municipal Election Reservation 2022 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव आरक्षण को लेकर सुगबुगाहट फिर शुरू हो गई है. सूत्रों के मुताबिक,नगर निकाय चुनाव में नए सिरे से आरक्षण तय किए जाने की तैयारी है.2017 के पिछले चुनाव के आधार पर आरक्षण का फार्मूला अभी तय नहीं है.2017 में 653 सीटों पर चुनाव हुआ था. अब नए सिरे से आरक्षण का ऐलान हो सकता है. इससे नगर निगम, नगर पालिका और नगर पालिकाओं के वार्डों में आरक्षण का समीकरण पूरी तरह बदल जाएगा. सामान्य श्रेणी, पिछड़े, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सीटों के आरक्षण को लेकर सभी दलों और दावेदारों की गणित भी बिगड़ सकती है.
आरक्षण से बदलेंगे प्रत्याशियों के समीकरण
खासकर महिलाओं के आरक्षण से भी तमाम प्रत्याशी चुनावी रेस से बाहर हो सकते हैं. निकाय चुनाव में सीटों पर नए सिरे से आरक्षण आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर चर्चाएं तेज हैं. अभी तक 762 निकाय बन चुके हैं. जिन पुरुष दावेदारों ने अपनी सीट के लिए प्रचार शुरू कर दिया था, उन्हें आरक्षण में सीट एससी-एसटी, ओबीसी या महिला सीट होने से झटका लग सकता है.
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इस बार वार्डों की संख्या बढ़ेगी
उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission Uttar Pradesh) चुनाव से पहले वार्ड स्तर सीमांकन प्रक्रिया को पूरा कर रहा है. पिछली बार से करीब 100 अतिरिक्त वार्ड अब तक चिन्हित हो चुके हैं. कई नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों के सीमा विस्तार से यह संख्या बढ़ी है. लिहाजा इन वार्डों को भी मिलाकर आनुपातिक आधार पर आरक्षण तय किया जाना है.
762 वार्डों का अभी तक गठन
यूपी नगर निकाय चुनाव 2017 में 653 वार्डों पर नगर पालिका चुनाव हुआ था. 2022 में अभी तक 109 नए वार्ड गठित हो चुके हैं. माना जा रहा है कि यह संख्या और बढ़ सकती है. वार्डवार आरक्षण से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण और परिसीमन का काम पहले ही लगभग पूरा हो चुका है. नगर विकास विभाग नगर निगम, नगर पालिका और वार्डों के आरक्षण के फार्मूले पर माथापच्ची कर रहे हैं.
इसमें पूरी सावधानी बरती जा रही है कि कहीं आरक्षण की घोषणा के बाद ये किसी अदालती विवाद में न फंस जाए. आरक्षण पर मुहर लगने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव की तारीखों का प्रस्ताव भेजा जा सकता है. फिर अधिसूचना जारी होगी. इसके बाद नवंबर मध्य से दिसंबर के बीच चुनाव कराए जा सकते हैं.
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