मनमोहन भट्ट/देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में एक बार फिर से घमासान शुरू हो गया है. अबकी बार विरोध का झंडा कांग्रेस के दो विधायकों करन माहरा और हरीश धामी ने उठाया है. दोनों ही विधायकों ने प्रदेश नेतृत्व पर निशाना साधते हुये पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की उपेक्षा का आरोप लगाया है. 


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धारचुला से विधायक हरीश धामी ने पिछले दिनों केंद्र सरकार और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस की रैली में भी हरीश रावत की उपेक्षा का आरोप लगाया था. उत्तराखंड के एक दिन के विधान सभा सत्र में शामिल होने आये कांग्रेस विधायक बीजेपी को घेरने के बजाय अपने प्रदेश नेतृत्व को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर गये. 


पिथौरागढ़ जिले के धारचुला विधानसभा से विधायक ने कहा, 'हरीश रावत के खिलाफ एक षड़यंत्र चल रहा है। उत्तराखंड कांग्रेस के जो भी कार्यक्रम होते हैं उनमें हरीश रावत को सम्मान नहीं मिलता.' धामी ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुये आलाकमान से हस्तक्षेप की मांग की है. 


विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता करन माहरा ने भी प्रदेश नेतृत्व की वर्तमान कार्यशैली पर सवाल उठा दिया. दोनों ही विधायकों ने मुखर होकर कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर आरोप लगाया कि हरीश रावत के खिलाफ गुटबाजी कर पार्टी को डुबोया जा रहा है. 


वजहें: हरीश रावत और उनके समर्थक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.


1. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रदेश संगठन से इतर अपने प्रोग्राम करते रहें हैं. पिछले विधान सभा सत्र के दौरान भी प्रदेश इकाई की गुटबाजी लगातार दिखाई दे रही थी. इस बीच अचानक हरीश रावत ने अपने सभी कार्यक्रम तीन महीने के लिए रद्द कर दिये. इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों को बताय गया. 


लेकिन इसके बाद हरीश रावत असम में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में दिखाई देने लगे. हरीश रावत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महासचिव हैं और असम के प्रभारी भी हैं. माना जा  रहा है कि हरीश रावत को केंद्रीय नेतृत्व ने ही असम जाने को कहा है. 


2. हाल ही में उत्तराखंड प्रदेश इकाई को भंग कर दिया गया और नई कार्यकारिणी की घोषणा का इंतजार होने रहा है. इस बीच नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस की रैली के लिए जब प्रदेश भर से कार्यकर्ता और नेता देहरादून में इकठ्ठा हुये तो हरीश रावत का नाम और फोटो किसी भी बैनर में नहीं लगे होने के कारण कई विधायक भड़क गये. धारचुला से विधायक हरीश धामी ने उसी दिन प्रदेश इकाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. 


इस बीच प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी इसे अनुशासनहीनता बताया था. दोनों गुटों में बात इस हद तक बढ़ गई थी कि हरीश धामी ने अगला विधान सभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ने की चेतावनी दी थी. लेकिन मंगलवार को फिर से प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोलकर सीधा हाई कमान से हस्तक्षेप की मांग कर गुटबाजी खुलकर दिखाई देने लगी है.


अंदर की बात: उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी का गठन जल्द ही होना है. इस कमेटी में शामिल होने के लिए कई नेता अपनी अपनी लॉबिंग में लगे हैं. कई नेता दबाव की राजनीति भी कर रहे हैं. दूसरी तरफ हरीश रावत और उनके समर्थक नेता और विधायक पार्टी में अपनी भूमिका को बढ़ाने के लिए प्रदेश के साथ साथ केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव डाल रहे हैं. 


आगे क्या: जल्दी ही कार्यकारिणी का गठन किया जाना है. प्रीतम सिंह इसके लिए अंतिम तैयारियों में जुटे हुए हैं. जो भी कार्यकारिणी बनेगी उसी के नेतृत्व में अगला विधान सभा चुनाव होना है. देखना ये होगा कि कांग्रेस की ये गुटबाजी आगे क्या रूप लेती है और कार्यकारिणी में किन नेताओं को शामिल किया जाता है.