बुद्ध पूर्णिमा पर क्यों दान करते हैं सुराही और पंखा? अकाल मृत्यु से बचाते हैं ये पुण्य कार्य

वैशाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जन्म तिथि माना जाता है. इस दिन को `बुद्ध पूर्णिमा` के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने और कुछ खास चीजों का दान करने से परेशानियों का अंत होता है.

पूजा सिंह Mon, 20 May 2024-2:12 pm,
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Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ बौद्ध धर्म के लोग बल्कि हिंदू धर्म के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. इसी पूर्णिमा तिथि में न सिर्फ भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, बल्कि इसी तिथि पर सालों वन में भटकने और कठोर तपस्या करने के बाद बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान भी प्राप्त हुआ था. यही वजह है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म के लोग आते हैं.

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बुद्ध पूर्णिमा पर क्या दान करें?

बुद्ध पूर्णिमा पर पंखा, जल से भरा मिट्टी का घड़ा, चप्पल, छतरी, अनाज, फल, का दान करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि दान-पुण्य से पितर प्रसन्न होते हैं. बुद्ध पूर्णिमा के दिन आप लंगर लगाकर भयंकर गर्मी में प्यासों को शरबत पिलाने जैसा शुभ कार्य भी कर सकते हैं. खरबूजे का दान भी लड़कियों को किया जाता है.

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पूजा का शुभ मुहूर्त

इस साल बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को है. इसे बौद्ध धर्म का मुख्य पर्व माना जाता है. ये त्योहार गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और मृत्यु का प्रतीक है. इस बार वैशाख पूर्णिमा तिथि 22 मई को शाम 06:47 पर शुरू होगी और 23 मई रात 07:22 पर समाप्त होगी. पूजा का समय सुबह 10:35 से दोपहर 12:18 तक है. पूर्णिमा तिथि पर हवन, पूजन करना शुभदायी होता है. इससे सद्गति प्राप्त होती है. कहा जाता है कि विष्णु जी की कृपा से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है.

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स्नान और दान का महत्व

शास्त्रों में वैशाख पूर्णिमा के दिन भी पवित्र नदी में स्नान और दान करने का महत्व बताया गया है. पूर्णिमा व्रत चंद्रमा के दर्शन के बिना पूरा नहीं होता है. इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से चंद्रदेव की कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा करने से आर्थिक परेशानी दूर होती है. पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को प्रसाद चढ़ाने और नदी में तिल प्रवाहित करने की मान्यता है. इस दिन गौतम बुद्ध की पूजा करने से आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.

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टलता है अकाल मृत्यु का खतरा

शास्त्रों में भी इस बात का जिक्र है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन सत्यविनायक व्रत रखना अत्यंत ही फलदायी होता है. मान्यता है कि ये व्रत धर्मराज यमराज को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, इस व्रत के पुण्य प्रताप से जीवन में अकाल मृत्यु का खतरा भी टल जाता है.

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बुद्ध पूर्णिमा व्रत विधि:

प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें. स्नान के बाद सूर्य देव के मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके बाद मन में व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की अराधना करें. इसके बाद भगवान विष्णु का अवतार माने जाने वाले भगवान गौतम बुद्ध की भी पूजा करें. इस खास दिन पर घर में तिल के तेल का दीपक जरूर जलाएं और तिल का दान भी करें. व्रत रखने वाले एक समय ही भोजन करें.

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पूर्णिमा पर करें ये काम

बुद्ध पूर्णिमा पर घर में बुद्ध देव की मूर्ति की स्थापना करें, साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें. दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित भरें और भगवान का अभिषेक करें. बुद्ध पूर्णिमा पर पीले रंग के वस्त्र का दान करें. तुलसी के साथ भगवान बुद्ध को मिठाई का भोग लगाएं.

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महादेव की अराधना

बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान शिव की भी विशेष पूजा की जाती है. इस दिन भगवान शिव को स्नान कराएं. चंदन का लेप लगाएं. फूल और पान के पत्ते चढ़ाएं. शिवलिंग के पास दीपक जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. देवी पार्वती को सुहाग का सामान जैसे चूड़ी, लाल साड़ी, कुमकुम आदि चीजें अर्पित करें.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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