Maa Annapurna vrat 2023 : मां अन्नपूर्णा के मात्र व्रत करने से भर जाती है झोली, जानें हजारों साल पुरानी मान्यता

कब है मां अन्नपूर्णा का व्रत और यह व्रत कैसा होता है. क्या है इस व्रत की विधि है आइए जानते हैं.

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अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा भक्तों की सभी मुरादें पूरी करेंगी. माता अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का खास दिन आने वाला है. 

 

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मार्गशीष माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 2 दिसम्बर से मां अन्नपूर्णा के महाव्रत अनुष्ठान की शुरुआत होगी. यह व्रत अनुष्ठान 17 दिनों तक चलेगा. 

 

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ऐसी मान्यता है कि इस महाव्रत के प्रभाव से भक्तों को अन्न धन की कभी कमी नहीं होती है. इस व्रत के पहले दिन काशी में स्थित माता अन्नपूर्णा देवी के दरबार में भक्तों का तांता लगा होता है. 

 

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पहले दिन श्रद्धालु दर्शन के बाद 17 गांठ के धागे को हाथ के बाजू पर धारण करते हैं. मंदिर के महंत शंकर गिरी ने बताया कि महिलाएं इस घागे को बाएं और पुरुष इसे दाहिने हाथ में धारण करते हैं. 

 

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यह व्रत 17 साल,17 महीने 17 दिनों का होता है. माता अन्नपूर्णा के इस महाव्रत में भक्तों को पूरे 17 दिनों तक अन्न का त्याग करना होता है. दिन में सिर्फ एक बार फलहाल का सेवन कर भक्त इस कठिन व्रत को रखते हैं. 

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इस व्रत में बिना नमक के फलहाल ग्रहण किया जाता है. साथ ही यह 17 दिवसीय महाव्रत 2 दिसम्बर से शूरू होकर 17 दिसम्बर तक चलेगा.

 

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काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज का कहना है कि इस व्रत से माता अन्नपूर्णा प्रसन्न होती है और भक्तों की मनचाही मुरादें पूरी करती है. 

 

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ऐसा भी कहा जाता इससे दैविक,भौतिक सुख की प्राप्ति होती है और घर परिवार में सम्पन्नता भी बनी रहती है. यही वजह है कि इस वाराणसी ही नहीं बल्कि पूर्वांचलभर के लोग इस कठिन व्रत और पूजा को पूरे श्रद्धाभाव से करते है.

 

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