Independence Day 2024: 1947 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में गांधी क्यों नहीं हुए शामिल? जानें देश की आजादी से जुड़ी रोचक बातें
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस...एक ऐसा दिन जो हमारे लिए गर्व और और एकता का प्रतीक है. इस दिन से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां हैं जो हमें पता होनी चाहिए. तो आइए हम उन दिलचस्प बातों को जानते हैं.
Independence Day 2024: स्वतंत्रता दिवस...देश की आजादी का एक ऐसा पर्व है, जो एक ओर हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की कड़ी मेहनत और बलिदान की याद दिलाता है. तो दूसरी ओर स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत के निर्माण के हमारे दायित्व को दोहराने का मौका भी देता है. 15 अगस्त यानी जिस दिन भारत ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ, उस दिन पूरा देश जश्न में डूबा होता है. इस दिन से जुड़ी कई ऐसी रोचक बाते हैं, जो हर भारतीय को पता होनी चाहिए. दरअसल, हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमें कुछ ऐसी जानकारियां मिलती हैं, जो हमें एक आदर्श नागरिक बनने में मदद करती है. इसमें राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, ध्वजारोहण समेत कई जानकारियां हैं, जिन्हें जानकर आप देश के और करीब महसूस कर सकते हैं. आइए जानते हैं.
पहला आंदोलन
सदियों तक ब्रिटिश हुकूमत ने भारत पर राज किया, लेकिन जब उनका उत्पीड़न बढ़ने लगा तो देश के अलग-अलग हिस्सों पर विरोध के स्वर उठने लगे. 1857 की क्रांति ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ और आजादी की मांग को लेकर सबसे पहला और बड़ा आंदोलन था. इस क्रांति की आग पूरे देश में फैली और पूरे देश में आंदोलन शुरू हो गए. ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटन को 30 जून 1948 तक सत्ता हस्तांतरित करने का आदेश दिया था.
पहला ध्वजारोहण
भारत का पहला अनौपचारिक झंडा 7 अगस्त, 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था. 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर भारत के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार ध्वजारोहण किया था. यह परंपरा तब से हर साल चली आ रही है और इस दिन लाल किले पर हर प्रधानमंत्री झंडा ध्वजारोहण करते हैं और देश को संबोधित भी करते हैं.
गांधी नहीं हुए शामिल
पहली बार जब स्वतंत्रता दिवस का समारोह आयोजित किया गया था तब उसमें महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे. हालांकि, जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को पत्र भेजकर इस मौके पर आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था, लेकिन महात्मा गांधी ने पत्र के जवाब में कहा था कि जब देश में सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं, ऐसी स्थिति में वो कैसे आजादी के जश्न में शामिल हो सकते हैं?
तिरंगे का निर्माण
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइन को पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था. 1921 में महात्मा गांधी को मूल डिजाइन प्रस्तुत किया गया था और 22 जुलाई 1947 को वर्तमान तिरंगे को भारत की संविधान सभा द्वारा अपनाया गया. भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में शामिल केसरिया रंग साहस का प्रतीक है. श्वेत रंग सत्य और शांति का प्रतीक है. हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता का प्रतीक है. राष्ट्रीय ध्वज में मौजूद अशोक चक्र में 24 तीलियां होती है.
राष्ट्रगान/ राष्ट्रीय गीत
आजादी के समय भारत का कोई राष्ट्रगान नहीं था. 'जन गण मन' को पहली बार 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता (अब कोलकाता) अधिवेशन में गाया गया था. रवींद्रनाथ टैगोर राष्ट्रीय गान के रचयिता हैं. जब राष्ट्रगान गाए और बजाए जाते हैं तो उस समय हमेशा सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए. उच्चारण सही और राष्ट्रगान 52 सेकेंड की अवधि में ही गाया जाना चाहिए. वहीं भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने की थी. ये उनके उपन्यास आनंदमठ (1882) का हिस्सा था.
ये भी जानें
भारतीय स्वतंत्रता विधेयक में भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए स्वतंत्रता की तारीख 15 अगस्त बताई गई. स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का सिंह अपनाया गया. यह प्रतीक सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है. इसके अलावा 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था.
26 जनवरी से अलग समारोह
स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वजारोहण का कार्यक्रम होता है. इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting कहते हैं. वहीं, जब 26 जनवरी को तिरंगा लहराते हैं तब इसे फहराना, जिसे अंग्रेजी में Flag Unfurling कहा जाता है. दोनों कार्यों में जगह का भी अंतर होता है. एक ओर स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम लाल किले पर आयोजित होता है, तो दूसरी ओर 26 जनवरी का कार्यक्रम कर्तव्य पथ पर होता है. 15 अगस्त को पीएम ध्वजारोहण करते हैं तो 26 जनवरी को राष्ट्रपति. 15 अगस्त को परेड भी नहीं होती.
राष्ट्रीय अवकाश
स्वतंत्रता दिवस भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है. इस दिन सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल और अधिकांश निजी संस्थान बंद रहते हैं. लोग ध्वजारोहण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं.