Rani Durgavati Biography: कौन थीं रानी दुर्गावती, राजपूत वीरांगना ने मुगलों को चटाई धूल, अकबर के सामने न झुकी, सीने में खंजर उतारकर दिया बलिदान
वैसे तो भारत में कई राजा-रानियों की वीरता के किस्से मशहूर हैं, लेकिन एक रानी ऐसी भी है. जिनका जन्म यूपी में हुआ और उन्होंने 16 सालों तक मध्य प्रदेश में शासन किया. अपने शासन के दौरान उन्होंने मुगलों को मुंहतोड़ जवाब दिया. आइए जानते हैं उनके बारे में?
Rani Durgavati Biography: बांदा के मेडिकल कॉलेज में सीएम योगी आदित्यनाथ ने रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण किया. यह प्रतिमा ऐतिहासिक धरोहर के रूप में है. इस मौके पर सीएम ने वीरांगना दुर्गावती की वीरता और संघर्ष को नमन किया. इस मौके पर यूपी के कई मंत्री मौजूद रहे. आइए जानते हैं कि रानी दुर्गावती कौन थीं?
कौन थीं रानी दुर्गावती?
रानी दुर्गावती भारत की एक प्रसिद्ध वीरांगना थीं, जिन्होंने मध्य प्रदेश में शासन किया. रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 में हुआ था. उनका राज्य गोंडवाना में था. रानी दुर्गावती का जन्म बांदा के कालिंजर किले में हुआ था. उस दिन दुर्गाष्टमी थी, इसलिए उनका नाम दुर्गावती रखा गया.
कहां हुआ था जन्म?
रानी दुर्गावती का नाम जैसा था वैसा ही काम भी था.दुर्गावती उसी चंदेल वंश से थीं जिन्होंने भारत में महमूद गजनी को रोका था. हालांकि 16वीं सदी आते-आते चंदेल वंश कमजोर होने लगा था. रानी बेहद खूबसूरत तो थी ही साथ ही उनमें तेज, साहस और शौर्य भी था. जिसकी वजह से रानी की प्रसिद्धि हर ओर फैल गई. आज भी उनकी शौर्य को याद किया जाता है.
किससे हुआ विवाह?
महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकलौती संतान थीं. राजा संग्राम शाह के बेटे दलपत शाह से उनका विवाह हुआ था. विवाह के चार साल बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया. उस वक्त रानी दुर्गावती का पुत्र नारायण 3 साल का ही था. जिसकी वजह से रानी ने खुद शासन संभाल ली. वर्तमान में जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था.
रानी पर बुरी नजर
सूबेदार बाज बहादुर ने भी रानी दुर्गावती पर बुरी नजर डाली थी, लेकिन उसको मुंह की खानी पड़ी. दूसरी बार के युद्ध में रानी ने उसकी पूरी सेना का सफाया कर दिया. जिसके बाद कभी वह पलटकर नहीं आया. रानी दुर्गावती ने मालवा समेत मुस्लिम राज्यों को बार-बार युद्ध में हराया. पराजित मुस्लिम राज्य इतने डरे हुए थे कि उन्होंने गोंडवाने की ओर झांकना भी बंद कर दिया. तीनों राज्यों की विजय में रानी को अपार संपत्ति हाथ आई.
रानी की वीरता
रानी इतनी वीर थी कि अगर उन्हें पता चलता था कि किसी स्थान पर शेर दिखाई दिया है, तो वह शस्त्र उठाकर तुरंत उसका शिकार करने चली जाती और जब तक उसका शिकार नहीं करतीं पानी भी नहीं पीती थीं. महारानी दुर्गावती ने 16 सालों तक अपना राज्य संभाला था. इस दौरान उन्होंने खई मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी और धर्मशालाएं बनवाई. उन्हें साक्षात दुर्गा का रूप माना जाता था.
मुगलों का साम्राज्य
15वीं शताब्दी में जब अकबर के राज में मुगलों का साम्राज्य पूरे भारत में फैल रहा था, लेकिन मध्य भारत का गोंडवाना जीतना मुगलों के लिए आसान नहीं था. उनके सामने सीना तानकर खड़ी थीं, रानी दुर्गावती. 1564 में असफ खान ने गोंडवाना पर हमला बोल दिया. छोटी सेना रहते हुए भी दुर्गावती ने मोर्चा संभाला. रणनीति के तहत दुश्मनों पर हमला किया और पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
झुकने से इनकार
महारानी ने अकबर के सामने झुकने से इनकार कर दिया था. इतना ही नहीं स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए युद्ध भूमि में उतर आईं. कई बार शत्रुओं को पराजित किया.1564 में महारानी दुर्गावती ने अंत समय निकट जानकर खुद ही अपनी कटार अपने सीने में मारकर आत्म बलिदान दे दिया. उनका नाम भारत की वीरांगनाओं में शामिल है.
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