थानेश्वर से लेकर कोतवालेश्वर तक, यूपी में इन मंदिरों के अजीबगरीब नाम सुने हैं क्या
मंदिर में भगवान की पूजा के लिए लोग जाते हैं. देश में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. जहां लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लेकिन यूपी के कानपुर जिले में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके अजीबोगरीब नाम सुनकर पहली बार में हर कोई हैरान रह जाता है. कानपुर में थानेश्वर, झगड़ेश्व से लेकर खस्तेश्वर नाम के मंदिर हैं.
मंदिर
मंदिर में भगवान की पूजा के लिए लोग जाते हैं. देश में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. जहां लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
अनोखे नाम के मंदिर
लेकिन यूपी के कानपुर जिले में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके अजीबोगरीब नाम सुनकर पहली बार में हर कोई हैरान रह जाता है.
नहीं सुना होगा पहले नाम
कानपुर में थानेश्वर, झगड़ेश्व से लेकर खस्तेश्वर नाम के मंदिर हैं. इनमें से कोई नाम शायद ही आपने पहले कभी सुना होगा.
क्या है वजह
आइए जानते हैं इन अनोखे नामों के पीछे क्या वजह है, और शहर में ऐसे कौन-कौन से मंदिर हैं.
कोतवालेश्वर मंदिर
शहर के बीचों बीच स्थित कोतवालेश्वर मंदिर करीब 200 साल पुराना है. इस मंदिर में कोट-कचहरी से जुड़ी मन्नतों के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मान्यता है कि मुकदमों और कोर्ट कचहरी से जुड़ी मान्यता पूरी होती हैं.
थानेश्वर मंदिर
यह मंदिर बिठूर में स्थित है. यहां भी भक्तों का तांता लगता है. कहा जाता है कि पुलिस अधिकारियों ने झाड़िओं में मिले शिवलिंग को मंदिर में स्थापित किया था.
झगड़ेश्वर मंदिर
यह मंदिर कालपी रोड पर स्थित है. इस मंदिर की भी दिलचस्प कहानी है. स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर के बनते समय वाद-विवाद हुआ था. इसी की वजह से इसका नाम झगड़ेश्वर महादेव मंदिर पड़ गया है.
खस्तेश्वर मंदिर
चावल मंडी में स्थित खस्तेश्वर मंदिर करीब 140 साल से ज्यादा पुराना बताया जाता है. इस मंदिर को एक खस्ते वाले से नाम मिला. कहा जाता है कि यहां खस्ता बेचने वाला इतना प्रसिद्ध हो गया कि इस मंदिर को खस्तेश्वर मंदिर के नाम से बुलाया जाने लगा.
जागेश्वर मंदिर
नवाबगंज में जागेश्वर मंदिर है, यहां मान्यता है कि शिवलिंग तीन बार रंग बदलता है. कहा जाता है कि यहां सैकड़ों साल पहले जंगल था, जहां ग्रामीण जानवर चराते थे. यहीं का किसान जग्गा अपने गाय इस टीले पर लाता था. उसकी एक गाय यहीं टीले पर आकर दूध देती थी. जब लोगों ने खुदाई की तो यहां शिवलिंग मिला. जिसे यहां स्थापित कर जग्गा के नाम पर जागेश्वर मंदिर रख दिया.
डिस्क्लेमर
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