दो किमी दूर से शिकार पहचान लेता है भेड़िया, चीते जैसी फुर्ती, टाइगर जैसे दांत
यूपी में बहराइच से लेकर सीतापुर तक आदमखोर भेड़िए का आतंक फैला हुआ है. बहराइच में भेड़िए 8 से 9 बच्चों और एक महिला को अपना शिकार बना चुका है. भेड़िए दुनियाभर में पाए जाते है. इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि ये कैसे होते है, कैसे जीते है और क्या खाते है.
सूंघने की क्षमता
भेड़िये की सूंघने की क्षमता बहुत तेज होती है. जिससे भेड़िए बहुत दूर की गंध को भी आसानी से सूंघ सकते है. भेड़िये 2.5 किमी दूर तक शिकार को सूंघ सकते हैं.
बर्फ के नीचे
भेड़िये 3 मीटर बर्फ के नीचे दबे शिकार का भी पता लगा लेता है, भले ही हवा गलत दिशा में क्यों ना चल रही हो. शिकार बहुत तेजी से भाग रहा हो लेकिन तब भी गंध उसे खतरे के प्रति भी आगाह करती है.
भेड़िये की आवाज
भेड़िये की आवाज चार प्रकार की होती है- चीखना, गुर्राना, फुसफुसाना या भौंकना. वो 180 डेसिबल की आवृत्ति पर चीख सकते हैं. वैसे तो भेड़िया कम चीखता है. बहुत से लोग इसमें और लोमड़ी में अंतर नहीं बता पाते है.
पुरुष भेड़िये
पुरुष भेड़िये का वजन 19 से 25 किलोग्राम होता है तो वहीं मादा 17-22 किलो की होती है. इसका रंग धूसर और भूरा होता है, फर काले धब्बों वाला होता है. इसकी छोटी पूंछ होती है, जिसका सिरा सफ़ेद होता है. चेहरे पर मोटे बाल भी होते हैं.
परिस्थितियों में ढाल सकते है
ये ज्यादातर गर्म क्षेत्र में रहते है. इसलिए उनका फर अन्य प्रजातियों की तुलना में छोटा और कम घना होता है. भेड़िए अलग- अलग परिस्थितियों में अपने आप को ढाल लेते है.
रफ़्तार
ये 70 से 80 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने में सक्षम है. ये पेड़ों में भी आराम से चढ़ जाते है. ये 7 मीटर तक की ऊंचाई तक छलांग लगा सकते है. ये ज्यादातर रात में शिकार करना पसंद करते है.
मांस खाना पसंद है
ये ज्यादातर छोटे खुर वाले जानवरों और सड़े हुए मांस को खाना पसंद करते है. बहुत तेज़ नज़र के साथ, वे तेज़ी से दौड़ते हैं. ये खरगोश, से लेकर हिरण जैसे जानवरों का शिकार करता है. भेड़िये ज्यादातर झुंड में शिकार करते हैं.
अक्टूबर से दिसंबर
अक्टूबर से दिसंबर के अंत तक भेड़ियों के लिए प्रजनन का मौसम होता है. वो एकसाथ 5-6 शावकों को जन्म देते हैं. उनका औसत गर्भकाल 62 से 75 दिन का होता है. नवजात शिशु पहले 10 दिनों तक अपनी आंखें नहीं खोलते है.
मादा भेड़िया
मादा भेड़िया कई मांदों में रहती है और अपने बच्चों को बारी बारी से सभी में घुमाती रहती है. उनका जीवनकाल जंगल में केवल 5 से 6 साल का होता है. कैद में वो 15 साल तक जिंदा रह सकते हैं.
आबादी में कमी
भेड़ियों की आबादी में तेज़ी से कमी आ रही है. अब वे विलुप्त होने के कगार पर हैं. ऐसा माना जाता है कि भारतीय जंगलों में केवल 3,000 भारतीय भेड़िये ही बचे हैं.
डिस्क्लेमर
इन काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.