UP Air Pollution: उत्तर प्रदेश के शहरों नोएडा (Noida), गाजियाबाद (Ghaziabad) में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. अगर आज यानी गुरुवार के दिन की बात करें तो इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार जा चुका है. हवा की गुणवत्ता बेहद गंभीर श्रेणी में है जिसके कारण लोगों को आंखों में जलन से लेकर सांसों से संबंधित दिक्कतें हो रही हैं. गुरुवार को भी प्रदूषण की गंभीर स्थिति में कोई सुधार आने की उम्मीद दिखाई नहीं पड़ रही है. 


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नोएडा और गाजियाबाद का हाल 
गुरुवार को सबसे ज्यादा प्रदूषित एरिया ग्रेटर नोएडा ही रहा जहां पर तीन दिन से लगातार AQI 450 से ऊपर है और गुरुवार को सुबह छह बजे भी नॉलेज पार्क-3 एरिया में इलाके में AQI का लेवल 479 दर्ज हुआ. जोकि बेहद गंभीर श्रेणी है और इसी तरह का हाल नोएडा और गाजियाबाद में है. 


कृत्रिम बारिश
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में (Delhi Pollution Updates) वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI की बात करें तो गुरुवार की सुबह यानी आज भी ‘गंभीर’ श्रेणी में रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की मानें तो शहर का पूरा AQI सुबह के समय 6 बजे 421 दर्ज हुआ. सुबह साउथ और वेस्ट दिल्ली एरिया सबसे अधिक प्रदूषित रहे हैं. शहर में एक्यूआई को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने को लेकर चर्चा हुई डिसके लिए बुधवार को आईआईटी कानपुर की एक टीम के साथ मीटिंग की गई. बैठक के बाद निष्कर्ष निकला कि दिल्ली में 20-21 नवंबर को बादल छाने की स्थिति में कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है. 


400 के पार AQI
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार नोएडा के अलग अलग इलाके में AQI का लेवल बेहद गंभीर श्रेणी में ही रहा. यहां के सेक्टर 62 में AQI लेवल 433, सेक्टर 116 इलाके में AQI 448 है. हालांकि, बुधवार की अपेक्षा ये थोड़ा कम रहा लेकिन स्थिति अब भी बहुत खराब है. गाजियाबाद के लोनी एरिया की बात करें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स 429 दर्ज हुआ और डार्क रेड श्रेणी में हवा की क्वालिटी बनी हुई है.


घर में रहने की सलाह
प्रदूषण के कारण यूपी के कई जिलों में स्कूलों को भी बंद किया गया है. कहीं कही ऑनलाइन क्लासेस हो रही है. बच्चों और बुजुर्गों के लिए सलाह जारी किया गया है कि वो घर पर ही रहें. प्रदूषण के कारण खांसी, आंखों में जलन और सांसों से जुड़ी कई और तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले कुछ समय से अस्पतालों में सांस के मरीज बढ़ें हैं.


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