Prabhat Gupta Murder Case: प्रभात गुप्ता मर्डर केस में मंत्री अजय मिश्र टेनी को राहत, HC ने सरकार की अपील खारिज की
Prabhat Gupta Murder Case : 8 जुलाई 2000 को लखीमपुर के तिकुनिया में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या हुई थी. इस मामले में अजय मिश्र टेनी समेत चार लोगों पर हत्या का आरोप लगाया था.
Prabhat Gupta Murder Case : लखीमपुर के तिकुनिया में हुए 23 साल पुराने चर्चित प्रभात गुप्ता हत्याकांड में शुक्रवार को कोर्ट का फैसला आ गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के साथ सुभाष मामा शशि भूषण पिंकी सहित राकेश डालू को राहत दी और उन्हें प्रभात गुप्ता हत्या मामले से बरी कर दिया. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया है. ट्रायल कोर्ट ने अजय मिश्र को मामले में बरी किया था. हाईकोर्ट की खंडपीठ में शामिल जस्टिस यार मसूदी और ओपी शुक्ला की बेंच ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी कर 21 फरवरी को फैसला सुरक्षित कर लिया था.
आपको बता दें कि वर्ष 2000 में लखीमपुर में प्रभात गुप्ता की हत्या हुई. इसके बाद अजय मिश्र टेनी सहित तीन अन्य को आरोपी बनाया गया, लेकिन निचली अदालत से वो बरी हो गए. इसके बाद प्रभात के परिवारजनों और राज्य सरकार ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी.इस पर 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ल की अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया. गवाहों के अभाव में इन्हें बरी कर दिया गया और निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया. प्रभात गुप्ता के भाई ने जी मीडिया से कहा कि अब वो आगे पैरवी करेंगे.
बता दें कि 8 जुलाई 2000 को लखीमपुर के तिकुनिया में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या हुई थी. इस मामले में अजय मिश्र टेनी समेत चार लोगों पर हत्या का आरोप लगाया था. शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ 'टेनी' के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर आपराधिक अपील खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को उचित ठहराया.
कोर्ट ने फैसले में क्या कहा
प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में निचली अदालत ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बरी कर दिया था, लेकिन राज्य ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओपी शुक्ला की पीठ ने कहा कि निचली अदालत के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है.
इसी साल 21 फरवरी को कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओपी शुक्ला की खंडपीठ ने इसी साल 21 फरवरी को इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिले के तिकुनिया इलाके में 24 वर्षीय युवक प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या करने के मामले में लखीमपुर में दर्ज प्राथमिकी में अजय मिश्रा और अन्य को आरोपी बनाया गया था.
राज्य सरकार ने दी थी चुनौती
लखीमपुर खीरी में अपर सत्र न्यायाधीश की एक अदालत ने साल 2004 में पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में मिश्रा और अन्य को बरी कर दिया था. बरी किए जाने से व्यथित राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी थी, जबकि मृतक के परिवार ने फैसले को चुनौती देते हुए एक अलग पुनरीक्षण याचिका दायर की थी.
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