विशाल सिंह/लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने राजनीतिक दलों द्वारा सरकारी बंगलों को पार्टी दफ्तरों में मिलाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को खारिज (petition rejected) कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार खुद अपनी संपत्तियों की देखभाल करने के लिए काफी सचेत है.  ऐसे में कोर्ट को इस मामले को आगे चलाने और अपनी असाधारण अधिकारिता का अमल करने का कोई कारण नहीं है. इसी टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव-प्रथम की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बंगलों को पार्टी दफ्तरों में मिलाने की वैधता को चुनौती
कोर्ट ने यह आदेश वकील मोतीलाल यादव की 2018 में दाखिल पीआईएल (PIL) पर दिया. इसमें याची ने बहुजन समाज पार्टी,भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी को लखनऊ में आवंटित बड़े सरकारी बंगलों (allotted large government bungalows) में पास के अन्य बंगलों को पार्टी दफ्तरों में मिलाने की वैधता को चुनौती दी गई थी.


सरकारी आदेशों को रद्द करने का अनुरोध
याची ने इन बंगलों को इन राजनीतिक दलों के दफ्तरों में विलय को मंजूर करने संबंधी वर्ष 2001 से 2008 के बीच के सरकारी आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया था.  इस याचिका में राज्य सरकार को मुख्य सचिव, राज्य संपत्ति विभाग के प्रमुख सचिव, राज्य संपत्ति अधिकारी और बसपा, भाजपा व सपा को इनके राष्ट्रीय अध्यक्षों के जरिये पक्षकार बनाया गया था.


डिजिटल अरेस्ट कर महिला के खाते से 1.48 करोड़ उड़ाने वाले ठग गिरफ्तार, गिरोह का भारत समेत कई देशों में साइबर जाल


Prayagraj news: एलकेजी के बच्चे ने शराब के ठेके पर डलवाया ताला, हाईकोर्ट ने लगाई मुहर