UP News: 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती की सूची इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की रद्द, यूपी सरकार को तगड़ा झटका
sahayak shikshak bharti latest news: उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती के लंबे समय से लटके मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. उसने मेरिट लिस्ट को दोबारा तैयार करने का आदेश दिया है.
Allahabad Highcourt cancelled assistant Teachers Recruitment 2024 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया और 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती को कैंसल कर दिया. उच्च न्यायालय की दो जजों की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए यह आदेश सुनाया. अदालत ने आरक्षण नियमों की 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने का निर्देश देते हुए तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश सरकार को दिया. उच्च न्यायालय में 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का केस काफी समय से लंबित था. शिक्षक भर्ती में 19 हजार सीटों पर आरक्षण को लेकर गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था. इसमें विसंगतियों के आरोपों को लेकर तमाम लोग अदालत गए थे.
उच्च न्यायालय में 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का केस काफी समय से लंबित था. शिक्षक भर्ती में 19 हजार सीटों पर आरक्षण को लेकर गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था. इसमें विसंगतियों के आरोपों को लेकर तमाम लोग अदालत गए थे.
हाई कोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षकों की मौजूदा लिस्ट को गलत मानते हुए मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है. न्यायालय ने 3 महीने के अंदर नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया है. इसमें आरक्षण के नियमों और बेसिक शिक्षा नियमावली के तहत करने का आदेश दिया है.
दिसंबर 2018 में जब ये मेरिट लिस्ट आई थी, तभी से इस पर विवाद शुरू हो गया था. अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए थे. इसमें 19 हजार पदों को लेकर आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाया था.
यह पूरा केस समाजवादी पार्टी की सरकार तक जाता है, जब 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन किया गया था. हालांकि उच्च न्यायालय ने इसे कैंसल कर दिया था. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को नए ढंग से सहायक शिक्षकों की भर्ती करने को कहा था. फिर दिसंबर 2018 में यूपी सरकार ने सबसे पहले 68500 सहायक शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की. फिर 69 हजार की भर्ती निकाली, लेकिन यह भर्ती भी दागदार हो गई और सीबीआई जांच कराई गई.
पांच साल पुरानी शिक्षक भर्ती परीक्षा
यूपी सरकार ने 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती दिसंबर 2018 में निकाली और जनवरी 2019 में एग्जाम कराया गया. इस भर्ती में 4. 10 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए. करीब 1.40 लाख परीक्षार्थी सफल हुए. फिर मेरिट लिस्ट जारी की गई. मेरिट लिस्ट के सामने आते ही विवाद सामने आया, क्योंकि आरक्षण को लेकर जो अभ्यर्थी अपना चयन पक्का मान रहे थे, उनका नाम लिस्ट में नहीं था. इसके बाद अदालत कादरवाजा खटखटाया गया.
मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी का आऱोप
मेरिट लिस्ट आने के बाद जब इसकी जांच पड़ताल अभ्यर्थियों ने प्रारंभ की तो आरोप लगाया कि 19000 पदों पर भर्ती में विसंगति हुई है और मेरिट में आरक्षण के प्रावधानों की अनदेखी का आरोप लगा. इसमें कहा गया कि OBC समुदाय को सिर्फ 4 फीसदी ही आरक्षण दिया गया, जबकि उसे 27 प्रतिशत कोटे का हक है. एससी-एसटी वर्ग के आऱक्षण में 21 की जगह सिर्फ 16 प्रतिशत रिजर्वेशन की बात कही गई.
69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का पालन कर नई लिस्ट बनाने की बात कही गई है. 69000 शिक्षक भर्ती मामले में ऑर्डर की कॉपी शुक्रवार को वेबसाइट पर अपलोड की गई.13 अगस्त को फैसला सुनाया गया था.
यूपी सरकार का रुख क्या
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार का कहना है कि 70 प्रतिशत परीक्षार्थी आरक्षण वर्ग से चुने गए हैं. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में आधिकारिक तौर पर कहा था कि 69000 शिक्षक भर्ती में 31228 OBC से चुने गए. इसमें 12360 आरक्षित और 18598 मेरिट से चयनित हुए हैं. हालांकि याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार आरक्षण नियमों का पालन पूरी तरह से करती तो 48 से 50 हजार भर्ती आरक्षित अभ्यर्थियों की होती.
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