गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक प्राइवेट अस्पताल में एक फोर्थ क्लास कर्मचारी द्वारा प्रसूता का ऑपरेशन करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि डिलीवरी के कुछ देर बाद ही नवजात की मौत हो गई. वहीं, प्रसूता की हालत गंभीर देखते हुए तीमारदारों ने उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया. जहां फिलहाल उसका इलाज जारी है.


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जानकारी के मुताबिक, गुलरिया थाना क्षेत्र स्थित भटहट बाजार के पास प्रियांशु अस्पताल को कुछ दिन पहले ही एडिशनल सीएमओ डॉ नीरज कुमार पांडे ने सील कर दिया था. बावजूद इसके ये अस्पताल चल रहा था. जिससे अब मेडिकल प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं.
वहीं, जब हमारी टीम अस्पताल में पहुंची, तो अस्पताल के मेन गेट की सील टूटी हुई थी और अंदर मरीजों के बेड भी पड़े थे. जिससे पता लग रहा था कि वहां हॉस्पिटल चल रहा था.


बताया जा रहा है कि इस अस्पताल की कुछ दिन पहले ही एडिशनल सीएमओ ने जांच की थी और जांच में ये अस्पताल बिना चिकित्सक एवं प्रशिक्षित कर्मचारियों के संचालन द्वारा पाया गया था. जिसके बाद एडिशनल सीएमओ ने इसे सील कर दिया था. लेकिन, सील के बावजूद अस्पताल का संचालन जारी था.


बीते मंगलवार की शाम को महाराजगंज जिले की निवासी सुनीता को प्रसव पीड़ा के चलते इस अस्पताल में भर्ती कराया गया. परिजनों के अनुसार ₹15000 अस्पताल में जमा कर दिया गया था और परिजनों से ₹25000 की अस्पताल प्रशासन ने डिमांड की थी. लेकिन ₹15000 जमा करने के बाद प्रसूता की डिलीवरी कराई गई.


वहीं, बुधवार को नवजात की हालत बिगड़ने लगी तो परिजनों के साथ अस्पताल में कर्मचारी उसे लेकर झुग्गियां स्थित एक निजी अस्पताल ले गए. जहां थोड़ी देर के बाद नवजात की मौत हो गई. फिलहाल पुलिस को इस पूरी घटना की तहरीर दे दी गई है. लेकिन अभी मुकदमा पंजीकृत नहीं हुआ है. वहीं, घटना के बाद से अस्पताल के संचालक फरार है.


इस पूरे मामले में सीएमओ श्रीकांत तिवारी का कहना है कि इस अस्पताल को कुछ दिन पहले ही सील किया गया था. बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन ने सील को तोड़कर अस्पताल को चला रहे थे. जिसके खिलाफ हम मुकदमा की कार्रवाई करेंगे और इसकी भी जांच करेंगे कि प्रसूता का ऑपरेशन किसने किया और किस वजह से बच्चे की मौत हुई है.