लखनऊ: कानपुर हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की उज्जैन से हुई गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश में सियासत का पारा चढ़ने लगा है. 2 जुलाई की घटना के हफ्ते भर बाद विकास दुबे के पकड़े जाने को लेकर एक तरफ तो सियासी दल ये सवाल उठा रहे हैं कि इसे सरेंडर माना जाए या गिरफ्तारी तो वहीं सरकार और पुलिस के काम करने के अंदाज पर भी सवाल उठ रहे हैं. 


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प्रियंका गांधी ने कहा 'फेल हुई सरकार'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने विकास दुबे की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि, 'कानपुर के जघन्य हत्याकांड में यूपी सरकार को जिस मुस्तैदी से काम करना चाहिए था, वो पूरी तरह फेल साबित हुई. अलर्ट के बावजूद आरोपी का उज्जैन तक पहुंचना, न सिर्फ सुरक्षा के दावों की पोल खोलता है बल्कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है.' प्रियंका गांधी ने बिल्हौर के शहीद CO की चिट्ठी का भी मामला उठाया और कहा है कि 'तीन महीने पुराने पत्र पर ‘नो एक्शन’ और कुख्यात अपराधियों की सूची में ‘विकास’ का नाम न होना बताता है कि इस मामले के तार दूर तक जुड़े हैं.' कांग्रेस महासचिव ने कहा है कि यूपी सरकार को मामले की CBI जांच कराकर सभी तथ्यों और प्रोटेक्शन के ताल्लुकातों को जगज़ाहिर करना चाहिए.


 



अखिलेश ने गिरफ्तारी पर उठाए हैं सवाल 
इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विकास दुबे की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये सरेंडर है या गिरफ्तारी? उन्होंने मामले पर यूपी सरकार की मंशा और कार्यपद्धति पर भी कई सवाल खड़े किए हैं. 


डिप्टी सीएम ने कहा 'कानून का डर अच्छा'
विरोधी जहां एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विकास की गिरफ्तारी के बाद ट्वीट करके लिखा है कि 'कानून का ये डर अच्छा है.'


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