Aaj ka Panchang 16 November 2023: हिंदू कैलेंडर में पंचांग एक जरूरी हिस्सा होता है. यह महीने की तीस तिथियों और पांच अंगों (वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण) से मिलकर बनता है. दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में हर प्रकार की जानकारी प्रदान करता है. आइये जानते हैं 16 November 2023 का पंचाग... 


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कार्तिक शुक्ल पक्ष तृतीया, अनला संवत्सर विक्रम संवत 2080, शक संवत 1945 (शोभकृत संवत्सर), कार्तिक तृतीया तिथि 12:35 PM तक उपरांत चतुर्थी. नक्षत्र मूल 02:17 AM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा. सुकर्मा योग 09:59 AM तक, उसके बाद धृति योग. 
करण गर 12:35 PM तक, बाद वणिज 11:51 PM तक, बाद विष्टि.  नवंबर 16, 2023, गुरुवार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि है. 


तिथि
शुक्ल पक्ष तृतीया: 15 16 नवंबर 01:47 पीएम-16 नवंबर 16 12:35 PM
शुक्ल पक्ष चतुर्थी: 16 नवंबर 12:35 पीएम–16 नवंबर 17 11:03 AM


नक्षत्र
मूल - 16 नवंबर - 03:01 एएम –16 नवंबर 17 02:17 एएम
पूर्वाषाढ़ा -16 नवंबर 17 02:17 एएम – 18 नवंबर 01:17 एएम


करण
गर - 16 नवंबर-01:14 AM – 16 नवंबर 12:35 PM
वणिज - 16 नवंबर-12:35 PM – नवंबर 16 11:51 PM
विष्टि - Nov 16 11:51 PM – Nov 17 11:03 AM


त्योहार और व्रत
वरद चतुर्थी


विक्रम संवत -2080, अनला
शक सम्वत -1945, शोभकृत
पूर्णिमांत - कार्तिक
अमांत - कार्तिक


सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय-6:43 एएम
सूर्यास्त-5:38 पीएएम


चन्द्रोदय -16 नवंबर 9:30 एएम
चन्द्रास्त -16 नवंबर 8:09 पीएएम


अशुभ काल
राहू -      1:33 पीएम– 2:54 पीएम
यम गण्ड - 6:44 एएम– 8:06 AM
कुलिक - 9:28  एएम– 10:49 एएम
दुर्मुहूर्त - 10:22 एएम 11:06 एएम, 02:43 पीएम – 03:27 पीएम
वर्ज्यम् - 11:29 AM – 01:01 पीएम


शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त - 11:49 एएम – 12:33 पीएम
अमृत काल - 08:09 एएम – 09:42 पीएम
ब्रह्म मुहूर्त - 05:08 एएम– 05:56 पीएम


 


ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से किसी महीने में 31 और किसी महीने में 1 दिन होते हैं. अगर हम हिंदू कैलेंडर की बात करें तो उसके हिसाब से हर माह में 1 दिन ही होते हैं, जिन्हें तिथि कहा जाता है. ये तिथियां दो पक्षों में होती हैं. इनमें से एक पक्ष को शुक्ल और एक पक्ष को कृष्ण कहा जाता है. ये 15-15 दिन के होते हैं. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इन तिथियों को प्रतिप्रदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और एक पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या और दूसरे पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है. 


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा. 


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