Akshay Tritiya Katha In Hindi: अक्षय तृतीया का पर्व हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व रखता है. इसे अक्खा तीज के नाम भी जाना जाता है.  इस साल यह 10 मई शुक्रवार को मनाई जाएगी. अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार परशुराम, हयग्रीव का जन्म हुआ था. मान्यता यह भी है कि इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं अक्षय तृतीया से जुड़ी कथा.  


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अक्षय तृतीया से जुड़ी कथा
अक्षय तृतीया से जुड़ी एक कथा के मुताबिक प्राचीन काल में धर्मदास नाम का एक वैश्य था, जो परिवार के साथ छोटे से गांव में रहता था. धर्मदास की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए परिवार का पालन-पोषण करने के लिए वह चिंतित रहता था. धर्मदास धार्मिक व्यक्ति था. वह अपने सरल स्वभाव और ब्राह्मणों के प्रति श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध था. 


अक्षय तृतीया व्रत के बारे में सुनने के बाद धर्मदास ने अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान कर विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा की. व्रत के दिन जल से भरे घड़े, पंखे, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेंहू, गुड़, घी, दही, सोना तथा वस्त्र आदि चीजें भगवान के चरणों में रख कर ब्राह्मणों को अर्पित कीं.


दान देखकर धर्मदास के परिवार और पत्नी ने उसे रोकने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि अगर इतना सब कुछ दान में दे दोगे, तो परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा. धर्मदास ने फिर भी दान और पुण्य कर्म किया और ब्राह्मणों को कई प्रकार का दान दिया. उसके जीवन में जब भी अक्षय तृतीया का पर्व आया, हर बार धर्मदास ने विधि से पूजा एवं दान आदि कर्म किया. 


बुढ़ापे और बीमारियों से ग्रसित होने के बाद भी उसने उपवास करके धर्म-कर्म और दान पुण्य किया. यही वैश्य दूसरे अगले जन्म में कुशावती का राजा हुए. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान-पुण्य व पूजन के कारण वह अपने अगले जन्म में बहुत धनी एवं प्रतापी राजा बना. वह इतना धनी और प्रतापी राजा था कि त्रिदेव तक उसके दरबार में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेष धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होते थे. 


अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ, वह प्रतापी राजा महान वैभवशाली होने के बावजूद भी धर्म मार्ग से कभी विचलित नहीं हुआ. माना जाता है कि यही राजा आगे के जन्मों में भारत के प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुए थे. भगवान ने धर्मदास पर अपनी कृपा की वैसे ही जो भी व्यक्ति इस अक्षय तृतीया की कथा का महत्त्व सुनता है और विधि विधान से पूजा एवं दान आदि करता है, उसे अक्षय पुण्य एवं यश की प्राप्ति होती है.


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


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