Benefits Of Neelam: रत्न शास्त्र में बताए गए प्रमुख 9 रत्नों को नियमपूर्वक धारणकर कई तरह की परेशानियों को जीवन से दूर किया जा सकता है. इन रत्नों का संबंध ग्रह से होता है और उस एक ग्रह को संबंधित रत्न अपना प्रभाव डालता है. इन्हीं में से एक है नीलम रत्न जोकर्मफल और आयु प्रदाता शनि ग्रह से जुड़ा हुआ माना जाता है. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में अगर शनि देव अस्त हुए हों तो नीलम उसका भाग्य रत्न माना जाएगा और व्यक्ति इस स्थिति में नीलम रत्न धारण करेहा. आइए इसे धारण करने की विधि, लाभ और अन्य बातें जानते हैं. 


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कौन लोग धारण करें नीलम
-नीलम रत्न मकर व कुंभ राशि के लोग धारण करें. इन राशियों के स्वामी शनि देव हैं. 
-वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि के जातक भी  नीलम पहन सकते हैं. ये राशियां शनि देव के मित्र ग्रहों की हैं.
-शनि देव कुंडली में कमजोर बैठे हों तो नीलम धारण कर सकते हैं. 
-अगर सकारात्मक (उच्च) के कुंडली में  शनि देव विराजमान हैं, तो भी जातक नीलम धारण कर सकते हैं. 
-मूंगा, माणिक्य और मोती को नीलम के साथ नहीं न पहने, नुकसान हो सकता है.


नीलम पहनने के लाभ जानें
-नीलम धारण करने से जातक को आर्थिक लाभ होने लगता है. 
-नीलम धारण करने से जॉब, बिजनेस में तरक्की होने के संकेत मिलती है. 
-नीलम धारण करने से डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति को लाभ हो सकता है. 
-नीलम धारण करने से रात में घबराहट और भय होने पर लाभ होता है. 
-नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यशैली में सकारात्मक बदलाव आता है. 
-नीलम धारण करने से व्यक्ति के सोचने की क्षमता का विकास हो सकता है
-शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या का प्रभाव होने पर नीलम धारण कर सकते हैं. 
-धैर्य की कमी होने पर जातक निलम धारण कर सकते हैं ताकि जल्दी में कोई काम न बिगड़ जाए. 
 
पहनने की विधि
पंचधातु या चांदी के धातु में 6 सवा 7 रत्नी नीलम को शनिवार की शाम को धारण करें, यह समय और दिन इसके लिए शुभ माना जाता है. सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में इसे धारण करें. धारण करने से पहले शनिवार को गाय के दूध और गंगाजल से अंगूठी को शुद्ध करें. फिर शनि देव के मंत्र का 108 बार जाप करें और फिर अंगूठी धारण करें. 
मंत्र है- ऊं शम शनिचराय नम:


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