Chhath Pooja 2024 Day 1 Nahay Khay: सनातन धर्म में छठ पूजा का खास महत्व है. ये महापर्व सादगी, पवित्रता और सूर्य देव की पूजा के लिए जाना जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत आज से हो गई है. पहले दिन को नहाय-खाय कहते हैं. इस दिन व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं. फिर सात्विक भोजन बनाती हैं और वहीं सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं. पंचांग के मुताबिक, हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय किया जाता है. ऐसे में इस दिन गंगा स्नान के लिए सुबह सवेरे भारी भीड़ उमड़ पड़ी. दरअसल, छठ का व्रत रखने वालों के लिए यह दिन काफी अहम माना जाता है. इसके कई कठोर नियम भी हैं, जिसे पूरा करना अनिवार्य होता है. 


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क्या है नहाय खाय की सामग्री?
अगर नहाय खाय की थाली की बात करें तो यह थाली शुद्ध सात्विक प्रसाद होता है. इस प्रसाद को कम से कम मसाले और तेल का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. इसमें लहसुन-प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाता. नहाय खाय को लेकर सामग्री बहुत ही सरल है. इस दिन सामग्री के तौर पर चावल, लौकी, चना दाल का इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन आलू, लौकी या कच्चे केले जैसी सब्जियों से बने डीप-फ्राइड पकौड़े भी बनाए जाते हैं.


जानें नहाय खाय के सख्त नियम
अब अगर नहाय खाय के नियमों की बात करें तो यह नियम काफी सख्त होते हैं. इनमें किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाती. इस दिन सबसे पहले पूरे घर को साफ किया जाता है. फिर स्नान आदि करके साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्यदेव को जल अर्पित कर पूजा करती हैं. भगवान को भोग लगाया जाता है. भोजन भी बिल्कुल सात्विक बनाया जाता है. लहसुन-प्याज एकदम वर्जित है. इस दिन कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल बनाने का विधान है. ये भोजन भगवान को भी चढ़ाया जाता है. पूजा होने के बाद इस भोजन को सबसे पहले व्रती ही ग्रहण करती हैं. उसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्यों को भोजन मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि पूजा में जिन वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है, उसे गंदे हाथों से छूना या जूठा करना पूरी तरह से वर्जित है. गांवों में खासतौर पर इस महापर्व के लिए अलग बर्तन और मिट्टी के चूल्हे बनाए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल सिर्फ छठ पूजा के दौरान ही किया जाता है.


क्या है इसका महत्व?
नहाय खाय के दिन व्रती तालाब-नदी में स्नान करती हैं. हालांकि, अगर तालाब-नदी पास नहीं हो तो घर पर भी साफ पानी से स्नान किया जा सकता है. इस दिन बनने वाले भोजन को शुद्ध और पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रती सात्विक भोजन ग्रहण कर पवित्र तरीके से छठ व्रत शुरू करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस भोजन को ग्रहण करने से सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होता है.


डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.


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