Guruwar Upay: कुंडली में कमजोर है गुरु ग्रह तो आज ही करें ये चमत्कारिक उपाय, सफलता मिलते नहीं लगेगी देर
Guruwar ke Upay: कुंडली में गुरु ग्रह के कमजोर होने पर जातक की समझ और ज्ञान में कमी आती है. ऐसे में जीवन में सफलता नहीं मिलती. यदि आपका गुरु ग्रह कमजोर है तो आप भी एक विशेष उपाय कर सकते हैं.
Guru Grah Upay: आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है. आज दिन गुरुवार है, जिसे बृहस्पतिवार भी कहते हैं. हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित होता है. जातक सुख-सौभाग्य और समृद्धि पाने के लिए अगर बृहस्पतिवार का व्रत रखते हैं. सूर्य के बाद गुरु को सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है. ज्योतिष में गुरु ग्रह को ज्ञान, भाग्य, ऐश्वर्य, संतान, विवाह, धार्मिक कार्य, धन और दान-पुण्य आदि का कारक माना गया है. कुंडली में इसकी खराब स्थिति से व्यक्ति के जीवन में कठिनाई आती है. इसके अलावा जातक आलसी हो जाता है, जिससे सफलता मिलनी मुश्किल हो जाती है. ऐसे में यदि आपका गुरु ग्रह कमजोर है तो आप भी एक विशेष उपाय कर सकते हैं. गुरु ग्रह को मजबूत बनाने के लिए गुरु ग्रह के 108 नामों का जप करें. ऐसा करना बेहद फलदायी माना जाता है.
बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली
ॐ गुरवे नमः।
ॐ गुणाकराय नमः।
ॐ गोप्त्रे नमः।
ॐ गोचराय नमः।
ॐ गोपतिप्रियाय नमः।
ॐ गुणिने नमः।
ॐ गुणवतां श्रेष्ठाय नमः।
ॐ गुरूणां गुरवे नमः।
ॐ अव्ययाय नमः।
ॐ जेत्रे नमः।
ॐ जयन्ताय नमः।
ॐ जयदाय नमः।
ॐ जीवाय नमः।
ॐ अनन्ताय नमः।
ॐ जयावहाय नमः।
ॐ आङ्गिरसाय नमः।
ॐ अध्वरासक्ताय नमः।
ॐ विविक्ताय नमः।
ॐ अध्वरकृत्पराय नमः।
ॐ वाचस्पतये नमः।
ॐ वशिने नमः।
ॐ वश्याय नमः।
ॐ वरिष्ठाय नमः।
ॐ वाग्विचक्षणाय नमः।
ॐ चित्तशुद्धिकराय नमः।
ॐ श्रीमते नमः।
ॐ चैत्राय नमः।
ॐ चित्रशिखण्डिजाय नमः।
ॐ बृहद्रथाय नमः।
ॐ बृहद्भानवे नमः।
ॐ बृहस्पतये नमः।
ॐ अभीष्टदाय नमः।
ॐ सुराचार्याय नमः।
ॐ सुराराध्याय नमः।
ॐ सुरकार्यकृतोद्यमाय नमः।
ॐ गीर्वाणपोषकाय नमः।
ॐ धन्याय नमः।
ॐ गीष्पतये नमः।
ॐ गिरीशाय नमः।
ॐ अनघाय नमः।
ॐ धीवराय नमः।
ॐ धिषणाय नमः।
ॐ दिव्यभूषणाय नमः।
ॐ देवपूजिताय नमः।
ॐ धनुर्धराय नमः।
ॐ दैत्यहन्त्रे नमः।
ॐ दयासाराय नमः।
ॐ दयाकराय नमः।
ॐ दारिद्र्यनाशनाय नमः।
ॐ धन्याय नमः।
ॐ दक्षिणायनसम्भवाय नमः।
ॐ धनुर्मीनाधिपाय नमः।
ॐ देवाय नमः।
ॐ धनुर्बाणधराय नमः।
ॐ हरये नमः।
ॐ अङ्गिरोवर्षसञ्जताय नमः।
ॐ अङ्गिरःकुलसम्भवाय नमः।
ॐ सिन्धुदेशाधिपाय नमः।
ॐ धीमते नमः।
ॐ स्वर्णकायाय नमः।
ॐ चतुर्भुजाय नमः।
ॐ हेमाङ्गदाय नमः।
ॐ हेमवपुषे नमः।
ॐ हेमभूषणभूषिताय नमः।
ॐ पुष्यनाथाय नमः।
ॐ पुष्यरागमणिमण्डलमण्डिताय नमः।
ॐ काशपुष्पसमानाभाय नमः।
ॐ इन्द्राद्यमरसङ्घपाय नमः।
ॐ असमानबलाय नमः।
ॐ सत्त्वगुणसम्पद्विभावसवे नमः।
ॐ भूसुराभीष्टदाय नमः।
ॐ भूरियशसे नमः।
ॐ पुण्यविवर्धनाय नमः।
ॐ धर्मरूपाय नमः।
ॐ धनाध्यक्षाय नमः।
ॐ धनदाय नमः।
ॐ धर्मपालनाय नमः।
ॐ सर्ववेदार्थतत्त्वज्ञाय नमः।
ॐ सर्वापद्विनिवारकाय नमः।
ॐ सर्वपापप्रशमनाय नमः।
ॐ स्वमतानुगतामराय नमः।
ॐ ऋग्वेदपारगाय नमः।
ॐ ऋक्षराशिमार्गप्रचारवते नमः।
ॐ सदानन्दाय नमः।
ॐ सत्यसन्धाय नमः।
ॐ सत्यसङ्कल्पमानसाय नमः।
ॐ सर्वागमज्ञाय नमः।
ॐ सर्वज्ञाय नमः।
ॐ सर्ववेदान्तविदे नमः।
ॐ ब्रह्मपुत्राय नमः।
ॐ ब्राह्मणेशाय नमः।
ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय नमः।
ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः।
ॐ सर्वलोकवशंवदाय नमः।
ॐ ससुरासुरगन्धर्ववन्दिताय नमः।
ॐ सत्यभाषणाय नमः।
ॐ बृहस्पतये नमः।
ॐ सुराचार्याय नमः।
ॐ दयावते नमः।
ॐ शुभलक्षणाय नमः।
ॐ लोकत्रयगुरवे नमः।
ॐ श्रीमते नमः।
ॐ सर्वगाय नमः।
ॐ सर्वतो विभवे नमः।
ॐ सर्वेशाय नमः।
ॐ सर्वदातुष्टाय नमः।
ॐ सर्वदाय नमः।
ॐ सर्वपूजिताय नमः।
॥ इति श्री बृहस्पत्याष्टोत्तर शतनामावळिः संपूर्णम् ॥
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