Amarnath Yatra 2023: श्री अमरनाथ धाम में देवाधिदेव महादेव को साक्षात विराजमान माना जाता है. आज से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गयी है. यह यात्रा करने वाले हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहलगाम से तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर यात्रा की शुरुआत कर ली है. अमरनाथ गुफा भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है इस पवित्र गुफा में हिमशिवलिंग के साथ ही एक पार्वती पीठ और गणेश पीठ भी बर्फ से प्राकृतिक रूप में निर्मित होती है. पार्वती पीठ ही शक्तिपीठ स्थल है. अमरनाथ जाने वाले भक्त शक्ति पीठ अवश्य जाते हैं. 1 जुलाई को शुरू हुई 62 दिवसीय यात्रा 31 अगस्त को समाप्त होगी.  धरती का स्वर्ग कही जाने वाली कश्मीर घाटी में स्थित श्री अमरनाथ स्वामी की पवित्र गुफा में प्रत्येक वर्ष प्राकृतिक हिमशिवलिंग यानि बर्फ से बनने वाले की पूजा की जाती है.


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सबसे पहले किसने देखा शिवलिंग 
पौराणिक कथा के अनुसार सबसे पहले ऋषि भृगु ने ही अमरनाथ की खोज की थी.  पहले कश्मीर की घाटी पानी के नीचे डूबी हुई थी, जब पानी सूख गया, तो भृगु अमरनाथ में शिव के दर्शन करने वाले पहले व्यक्ति थे. उसके बाद बहुत सालों तक इस गुफा के बारे में लोग जान नहीं पाए. 1850  में  बूटा सिंह मलिक नामक मुसलमान को यहाँ एक साधु ने टोकरी दी. घर आकर देखा तो टोकरी में रखें फूल  सोना हो गए. बूटा मलिक जब साधु को खोजने वापस गया तो वहां पर शिवलिंग पाया . उसने इसके बारे में अन्य लोगों को बताया और उसके तीन साल बाद से यहां अमरनाथ यात्रा होने लगी. आज भी बूटा परिवार अमरनाथ गुफा की देखभाल करता है.  


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कहां गया बैल
शिव ने नंदी बैल को पहलगाम पुराना बैल गांव में छोड़ दिया था. महागुणस पर्वत (महागणेश पर्वत) पर उन्होंने अपने पुत्र गणेश को छोड़ दिया. चंदनवारी में चंद्रमा को मुक्त किया. शेषनाग झील के तट पर उन्होंने अपना साँप छोड़ दिया, पंजतरणी में, शिव ने पांच तत्वों - पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश को पीछे छोड़ दिया. अंत में शिव ने पार्वती के साथ पवित्र अमरनाथ गुफा में प्रवेश किया और वे दोनों बर्फ से बने लिंग बन गए. शिव लिंग बन गए बर्फ की और पार्वती चट्टान की योनि बन गईं.