Aaj ka Panchang 11 july 2023: हिंदू कैलेंडर में पंचांग एक जरूरी हिस्सा होता है. यह महीने की तीस तिथियों और पांच अंगों (वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण) से मिलकर बनता है. दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में हर प्रकार की जानकारी प्रदान करता है. आइये जानते हैं 11 जुलाई 2023 का पंचाग... 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वार: मंगलवार 
पक्ष: कृष्ण पक्ष
तिथि: नवमी-06:04 पीएम तक
नक्षत्र: अश्विनी-07:04 पीएम तक
योग: सुकर्मा-10:53 एएम तक
करण: तैतिल-06:19 एएम तक
द्वितीय करण: गर-06:04 पीएम तक


सूर्योदय- 05:29 एएम
सूर्यास्त- 07:23 पीएम


अशुभ मुहूर्त 
दुष्टमुहूर्त- 08:17:02 से 09:12:26 तक
कुलिक- 13:49:30 से 14:44:55 तक
कंटक- 06:26:12 से 07:21:37 तक
राहु काल- 15:54:11 से 17:38:05 तक
कालवेला/अर्द्धयाम- 08:17:02 से 09:12:26 तक
यमघण्ट- 10:07:51 से 11:03:16 तक
यमगण्ड- 08:58:35 से 10:42:29 तक
गुलिक काल- 12:26:23 से 14:10:17 तक


शुभ मुहूर्त
अभिजीत: 11:58:41 से 12:54:05 तक


ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से किसी महीने में 31 और किसी महीने में 1 दिन होते हैं. अगर हम हिंदू कैलेंडर की बात करें तो उसके हिसाब से हर माह में 1 दिन ही होते हैं, जिन्हें तिथि कहा जाता है. ये तिथियां दो पक्षों में होती हैं. इनमें से एक पक्ष को शुक्ल और एक पक्ष को कृष्ण कहा जाता है. ये 15-15 दिन के होते हैं. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इन तिथियों को प्रतिप्रदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और एक पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या और दूसरे पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है. 


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.  


WATCH: क्या होता है अधिक मास, जानें धार्मिक मान्यता और इसमें दान-पुण्य का महत्व