Ahoi Ashtami Upay: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का खास महत्व होता है. इस माह में करवा चौथ से लेकर दिपावली तक कई बड़े व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं. इसी महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. अहोई अष्टमी व्रत का दिन करवा चौथ के चार दिन बाद और दीवाली पूजा से आठ दिन पहले पड़ता है. यह निर्जला व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति, उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए रखती हैं. जिस तरह करवा चौथ का व्रत चांद के दर्शन के बाद पूरा होता है, उस तरह अहोई अष्टमी पर तारों की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन पूजा से संबंधित कुछ उपाय किए जाते हैं. मान्यता है कि इन उपायों को करने से महिलाओं की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण हो जाती हैं. 


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अहोई अष्टमी पर करें ये उपाय 
1. अहोई अष्टमी के दिन घर पर जो भी भोजन बनाएं उसका आधा हिस्सा गाय और बछड़े के लिए निकालकर रख दें. इस उपाय से आपको जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होगी. 


2. अहोई अष्टमी पर शाम के समय पीपल के नीचे 5 दीपक जलाएं. इस दौरान मन में मनोकामना बोलते हुए परिक्रमा करें. ऐसा करने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मांगी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.  


3. इस दिन पति-पत्नी एक साथ अहोई माता को सफेद फूल अर्पित करें. इसके बाद शाम के समय तारों को अर्घ्य दें और पूजन करें. मान्यता है कि इस उपाय से अहोई माता से प्रसन्न होकर संतान सुख का आशीर्वाद देती हैं. 


4. अहोई अष्टमी पर घर में एक तुलसी का पौधा भी लगाएं. उसकी विधिपूर्वक पूजन-अर्चन करें. 


5. संतान प्राप्त की कामना वाले दंपति को इस दिन एक साथ व्रत रखना चाहिए. इसके साथ ही इस दिन 7-9 चांदी के मोतियों को लाल रंग के धागे में पिरो लें. पूजन के समय यह माला अहोई माता को पहनाएं और संतान प्राप्ति की कामना करें. इस उपाय से दंपति के बीच चल रही समस्याएं भी दूर होती हैं. 


6. अहोई अष्टमी पर मां को शृंगार का सामान अर्पित करें. ऐसा करने से संतान को उसके कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है. पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है. मां अहोई व्रती को अंखड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. 


7. संतान की इच्छा रखने वाले दंपति अहोई अष्टमी से लेकर 45 दिनों तक गजानन को रोज बेलपत्र अर्पित करें. बेलपत्र अर्पित करते समय ‘ओम पार्वतीप्रियनंदनाय नम:’ का जाप करें. ऐसा करने से उनकी इच्छा जल्द पूरी होगी. 


8. अहोई माता को पूजन के दौरान दूध-भात का भोग और लाल फूल जरूर अर्पित करें. इसके बाद लाल फूल हाथ में लेकर संतान के लिए प्रार्थना करें. पूजा समाप्त करने के बाद संतान को अपने हाथों से दूध भात खिलाएं और लाल फूल उसके हाथों में देकर कहीं सुरक्षित रखने को कहें. ऐसा करने से माता का आशीर्वाद हमेशा उसपर बना रहेगा. 


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


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