देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी या पद्मनाभा एकादशी भी कहते हैं. भगवान विष्णु के सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत को श्रेष्ठतम माना जाता है. देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है इस दिन तुलसी के पौधे व शालिग्राम का विवाह सामान्य विवाह की तरह धूमधाम से की जाती है. यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए उत्तम दिन है. इस दिन की पूजा के बाद भगवान विष्णु अपनी गहरी निद्रा में क्षीरसागर में चले जाते हैं. इसी दिन से चतुर्मास की भी शुरुआत होती है. इस साल देवशयनी एकादशी का आरंभ 29 जून की सुबह 3:18 मिनट से होगा और इसका समापन 30 जून की रात 2:42 पर होगा.  वहीं पारण का समय 30 जून को 1:48 से लेकर शाम 04:30 पर होगा. 


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अगर आपके जीवन में कोई परेशानी चल रही है या आप धन धान्य को आमंत्रित करना चाहते हैं तो आपको कुछ सरल और फलदायी मंत्रो का जाप करना चाहिए. इन मन्त्रों के जाप से श्री हरी विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर आपके जीवन की तमाम परेशानियों को दूर करेंगे. जीवन में वैभव और खुशहाली बढ़ेगी और निसंतान दम्पतियों की गोद भरेगी. तो ध्यान से पढ़ें की आपकी राशि के अनुसार आपको कौन सा मंत्र पढ़ना है. 


कुंभ राशि - ऊँ श्रीधराय नमः
सिंह राशि -ऊं हृषिकेषाय नमः
मेष राशि-  ऊँ गोविंदाय नमः
कर्क राशि- ऊँ केशवाय नमः
मीन राशि- ऊँ माधवाय नमः
कन्या राशि- ऊँ श्रीधराय नमः
वृषभ राशि- ऊं पद्मानाभय नमः
वृश्चिक राशि-ऊँ केशवाय नमः
मिथुन राशि- ऊँ माधवाय नमः
तुला राशि- ऊँ मधुसूदनाय नमः
धनु राशि- ऊँ माधवाय नमः
मकर राशि- ऊँ त्रिविकरमाय नमः


पूजन विधि 
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित कर दें. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले श्री हरी भगवान विष्णु को प्रणाम करें. नित्य कर्मों से निवृत होकर स्नान-ध्यान करें. स्नान के पानी में कुछ बूंदे गंगाजल की डाल दें. इस दिन पीले वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु का मंत्रजाप करते हुए अर्घ्य दें.