अरविंद मिश्रा : सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु नानक देव जी हर भारतीय के लिए आस्था के केंद्र हैं. उनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. हर साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व या नानक देव का प्रकाश पर्व भी कहते हैं. श्री गुरु नानक जयंती दिवाली के 15 दिनों के बाद मनाई जाती है. गुरु नानक जयंती सिखों और हिंदूओं की आस्था का सबसे बड़ा पर्व है. इस दिन गुरुद्वारों को रोशनी से सजाया जाता है. सुबह से निकलने वाली प्रभात फेरी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है. जगह-जगह भजन-कीर्तन का अयोजन होता है. इस दौरान विशाल लंगर का आयोजन किया जाता है. हर एक गुरुद्वारे में हजारों की भीड़ जिस अनुशासन और पवित्रता के साथ लंगर ग्रहण करती है, वह अद्भुत है. सिख और हिंदू भी बड़ी संख्या में गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेकते हैं.


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सभी के लिए प्रेरणास्रोत है गुरु पर्व


इस वर्ष गुरु नानक जयंती 27 नवंबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी. पंचांग के आधार पर देखें तो इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा तिथि 26 सितंबर रविवार को 3.53 पीएम पर शुरू होगी. इस तिथि की समाप्ति 27 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर होगी. उदयातिथि के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा 27 सितंबर को है.


कब और कहां हुआ था गुरु नानक देव का जन्म?
गुरु नानक देव का जन्म 1469 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तलवंडी नामक गांव में हुआ था. आज उस जगह को श्री ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. यह दुनिया भर में रह रहे सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और आस्था का स्थान है. गुरु नानक देव ने समाज की बुराइयों को दूर करने और लोगों के बीच सामाजिक समानता और समरसता बढ़ाने का प्रयास किया. उन्होंने गुरु परंपरा की शुरूआत की और सिख धर्म की स्थापना की. हिंदू भी पूरी आस्था से श्री गुरुनानक देव से प्रेरणा लेते हैं. श्रीगुरुनानक देव द्वारा मानवता के लिए किए गए त्याग और संघर्ष सभी को प्रेरित करता है.


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