Seven Horses: हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं तथा उनसे जुड़ी कहानियों का इतिहास काफी बड़ा है. सभी भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार अलग अलग देवी देवताओं की पूजा करते हैं और तस्वीर लगाते हैं. सभी देवी देवताओं की चित्रण, उनकी वेश-भूषा और यहां तक कि वे किस सवारी पर सवार होते थे यह तथ्य भी काफी रोचक हैं. आज जानें भगवान् सूर्य के रथ और उनके सात घोड़ों की कहानी.


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सूर्य रथ
हिन्दू धर्म में गणेश जी के बाद यदि किसी देवी या देवता की सवारी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है तो वे हैं सूर्य भगवान. लगभग हर घर में सूर्य भगवान की तस्वीर उनके सात सफ़ेद घोड़ों के बिना अधूरी मानी जाती है. सूर्य भगवान जिन्हें आदित्य, भानु और रवि भी कहा जाता है. इनकी पूजा का विशेष महत्त्व है. लोग सूर्य देव को जल चढ़ाकर और उनकी तस्वीर लगाकर अपनी कुंडली के ग्रहों की दशा बदल देते हैं. सूर्य भगवान सात घोड़ों द्वारा चलाए जा रहे रथ पर सवार होते हैं. इन घोड़ों की लगाम अरुण देव के हाथ मेंहोती है और स्वयं सूर्य देवता पीछे रथ पर विराजमान होते हैं.


कौन हैं सूर्यदेव और उनके माता पिता 
सूर्य भगवान से जुड़ी एक खास बात यह है कि उनके 11 भाई हैं, जिन्हें एक ही  रूप में आदित्य भी कहा जाता है.सूर्य देव के भाइयों के नाम  अंश, आर्यमान, भाग, दक्ष, धात्री, मित्र, पुशण, सवित्र, सूर्या, वरुण और वमन है. ये सभी ऋषि कश्यप और अदिति की संतान हैं.


रथ को क्यों खींचते हैं साथ घोड़े 
सूर्य भगवान सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होते हैं. इन सात घोड़ों के संदर्भ में पुराणों तथा वास्तव में कई कहानियां प्रचलित हैं.  उनसे प्रेरित होकर सूर्य मंदिरों में सूर्य देव की विभिन्न मूर्तियां भी विराजमान हैं लेकिन यह सभी उनके रथ के साथ ही बनाई जाती हैं. सूर्य भगवान का विशाल रथ है और साथ में उसे चलाने वाले सात घोड़े हैं और सारथी हैं अरुण देव. सूर्य भगवान के रथ को संभालने वाले इन सात घोड़ों के नाम हैं - गायत्री, भ्राति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति. कहा जाता है कि यह सात घोड़े एक सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं.  इसके अलावा भी कोई कारण है जो सूर्य देव के इन सात घोड़ों की तस्वीर और भी साफ करता है. 


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सात घोड़े सोइराज के सात रंग हैं
पौराणिक दिशा से विपरीत जाकर यदि साधारण तौर पर देखा जाए तो यह सात घोड़े एक रोशनी को भी दर्शाते हैं.  सूर्य के प्रकाश में सात विभिन्न रंग की रोशनी पाई जाती है जो इंद्रधनुष का निर्माण करती है.कई बार सूर्य भगवान की मूर्ति में रथ के साथ केवल एक घोड़े पर सात सिर बनाकर मूर्ति बनाई जाती है. मतलब है कि केवल एक शरीर से ही सात अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति होती है. जैसे सूरज की रोशनी से सात अलग रंगों की रोशनी निकलती है. सूर्य भगवान जिस रथ पर सवार हैं उसे अरुण देव द्वारा चलाया जाता है. एक ओर अरुण देव द्वारा रथ की कमान तो संभाली ही जाती है लेकिन रथ चलाते हुए भी वे सूर्य देव की ओर मुख कर के ही बैठते है . रथ के नीचे केवल एक ही पहिया लगा है जिसमें 12 तिल्लियां लगी हुई हैं. यह साल के बारह महीनों को दर्शाती हैं.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.