Bajrang Baan Benefits: मंगलवार को ऐसे करें बजरंगबाण का पाठ, ढेरों फायदे और हर कष्ट हो जाएगा छूमंतर
Bajrang Baan Path: सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार मंगलवार की शाम को बजरंग बाण का पाठ बेहद प्रभावशाली है. मान्यता है कि पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. हर दिन शाम को नियमित रूप से इसका पाठ करने से हर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.
Bajrang Baan Benefits
मंगलवार के ऐसे करें बजरंगबाण का पाठ, ढेरों फायदे और हर कष्ट हो जाएगा छूमंतर
Bajrang Baan Path
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार मंगलवार की शाम को बजरंग बाण का पाठ बेहद प्रभावशाली है. मान्यता है कि पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. हर दिन शाम को नियमित रूप से इसका पाठ करने से हर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.
Hanuman Ji Banrang Baan
सनातन धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित है. मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि हनुमान जी भगवान शिव के रुद्रावतार हैं और भगवान श्री राम के परम भक्त.
मंगलवार के दिन पूरी श्रद्धा से पूजा करने से भक्तों के जीवन में सब कुछ मंगल होता है. अगर कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करता है तो उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं, विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. आइए जानें इसके फायदे.
बजरंग बाण के फायदे
मान्यता है कि बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को कभी भी गंभीर रोग नहीं सताता. साथ ही, वह हर प्रकार के रोग और अन्य दोषों से मुक्ति पाता है.
किसी भी कार्य में निश्चित रूप से सफलता पाने के लिए मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. इसे करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है. अगर आप पर शत्रु हावी हो रहे हैं, तो मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करें. मान्यता है कि बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है.
इस दिन बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को अज्ञात भय से छुटकारा मिलता है. वहीं, लंबे समय से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं और अटके हुए कार्य पूरे होते हैं. हर मंगलवार बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि आती है.
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी। जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै। जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा। आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा। बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा। अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा। लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी। जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता। जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर। ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।
गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो। ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो। ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा। सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा। पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा। वन उपवन मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं। पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता। बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक। भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर। इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।
जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो। जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा। चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं। उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता। ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता। ओम हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल। अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो। यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की। यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै। धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान। तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
Disclaimer
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.