Shani Margi in Diwali:  मृत्युलोक के जज कहे जाने वाले भगवान शनि 4 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर मार्गी हो चुके हैं. इस तरह मौजूदा संवत्सर के अन्त तक ये मार्गी अवस्था में ही गोचर करेंगे. अब ये दोबारा अगले साल 2024 में 29 जून को वक्री होकर 15 नवंबर 2024 को मार्गी होंगे. पूरे साल 2024 में ये कुंभ राशि में ही गोचर करेंगे और 29 मार्च 2025 को मीन राशि में दाखिल होंगे. इनके मार्गी होने बिजनेस में काफी सुधार आएगा. मौजूदा समय में कुंभ राशि के गोचरकाल में इनके मार्गी होने का अन्य सभी राशियों पर कैसा असर पड़ेगा ?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मेष राशि
राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए मार्गी शनिदेव का असर आपके लिए बेहतरीन कामयाबी लेकर आएगा. कहीं न कहीं वर्कप्लेस में तनाव का सामना करना पड़ेगा. परिवार के वरिष्ठ सदस्यों से भी मनमुटाव की आशंका है. इनकम के साधन बढ़ते रहेंगे. सोची-समझी सभी रणनीतियां अपनाएं. संतान के दायित्व की पूर्ति होगी. लव अफेयर में उदासीनता रहेगी, इसलिए अपने कार्य के प्रति अधिक संजीदा रहें.


वृषभ राशि
राशि से दशम कर्मभाव में गोचर करते हुए मार्गी शनिदेव का असर काफी अप्रत्याशित और मिला-जुला रहेगा. माता-पिता की सेहत पर तो नकारात्मक असर पड़ सकता है लेकिन बिजनेस में तरक्की देंगे. केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे. किसी भी तरह के सरकारी टेंडर के लिए आवेदन करना चाह रहे हों या चुनाव संबंधी कोई फैसला लेना चाह रहे हों तो अभी ठहर जाएं.


मिथुन राशि
राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए मार्गी शनि देव का असर सकारात्मक है. कई बार ऐसा भी होगा कि आपका काम सही समय पर नहीं हो पाएगा लेकिन उसके लिए कहीं न कहीं आपके वह दोस्त जिम्मेदार हैं, जिन पर आप जरूरत से अधिक भरोसा करते हैं. लव अफेयर में न पड़ें. 



शनि देव को प्रसन्न रखने के लिए करें इन मंत्रों का जाप


1.शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
2.सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः
3.शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
4. शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
5.शनि गायत्री मंत्र­- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
6.तांत्रिक शनि मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
7.शनि दोष निवारण मंत्र- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


Earthquake in Delhi NCR: एक बार फिर दहली दिल्ली, नोएडा-गाजियाबाद की धरती, 3दिनों के अंदर 2 बार आया भूकंप आया