Shiv Puran: सभी पुराणों में शिव पुराण को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होने का दर्जा मिला हुआ है. शिव पुराण में भगवान शिव के व्यक्तित्व का और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इसमें भोले बाबा के अलग-अलग स्वरूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों आदि का वर्णन किया गया है. शिव पुराण के मुताबिक यह पुराण परम उत्तम शास्त्र बताया गया है. धर्म शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस पुराण को पढ़ने और सुनना लाभकारी और आनंददायी होता है. शिव महापुराण एक ऐसा पुराण ग्रन्थ है हिन्दू धर्म में जो की अठारह पुराणों में से सबसे अधिक बार पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

Motivational Thoughts: भगवान हनुमान से सीखें जीवन के ये अचूक सूत्र, हर कष्ट से पार पाना सिखा देंगी ये अनमोल बातें


24 हजार श्लोक मौजूद
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक शिव पुराण में 24 हजार श्लोक मौजूद हैं. इसके साथ ही यह पुराण 7 संहिताओं से भी युक्त है. ऐसी मान्यता है कि यह दिव्य शिवपुराण परब्रह्म परमात्मा के समान विराजमान है.  वैसे तो यह माना जाता है कि मूल शिवमहापुराण में श्लोकों की संख्या एक लाख थी लेकिन महर्षि वेद व्यास जी ने इसको 24 हजार श्लोकों में संक्षिप्त कर दिया. 


त्रिदेवों में संहार के देवता हैं शिव
शिव पुराण में शिव के जीवन पर प्रकाश डाला गया है.  यहां पर उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों के बारे में बताया गया है. ऐसा बताया गया है कि भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं. वहअपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते. इन्हें त्रिदेवों में संहार का देवता कहा गया है. भगवान शिव को नटराज की उपाधि भी दी गई है.  इनमें जीवन और मृत्यु का बोध निहित है. भोलेनाथ के शीश पर गंगा और चंद्रमा जीवन और कला का प्रतीक माना जाता है.


Motivational Thoughts: मरने से पहले रावण ने लक्ष्मण को दिया था ज्ञान का उपदेश, जीवन बदल देंगी ये 5 बातें


शिवजी को किसी तरह का मोह नहीं है. उन्हें स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधे के फल धूतरा ही प्रिय है. शिवजी इन्हीं सब चीजों से प्रसन्न हो जाते हैं। शिव के अघौड़ बाबा हैं जो जटा धारण किए हुए, गले में नाग लिपटे हुए, शरीर पर बाघम्बर पहने हुए और रुद्राक्ष की मालाएं धारण किए हुए हैं। साथ ही डमरू और त्रिशुल भी भोलेनाथ ने धारण किया हुआ है। शिवजी के शरीर पर चिता की भस्म लगी हुई है। 


शिव पुराण में मौजूद हैं 7 संहिता
विद्येश्वर संहिता
रुद्र संहिता
उमा संहिता
कैलास संहिता
वायु संहिता 
शतरुद्र संहिता
कोटिरुद्र संहिता


शैव मत से है शिव पुराण का संबंध
शिव पुराण का संबंध शैव मत से है. इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है.  प्राय: सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है.


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा. 


 


Geeta Ka Gyan: कर्म-प्रेम का पाठ पढ़ाती हैं भगवद गीता की बातें, सफलता के लिए जीवन में शामिल कर लें श्रीकृष्ण के ये अनमोल वचन