Karwa Chauth 2023: हिंदू धर्म में सुहागिनों के लिए करवाचौथ (Karva Chauth 2023) का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं  निर्जला व्रत रखती रखती हैं. कुंवारी लड़की भी मनपसंद वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं. रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं. इस बार ये पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा.


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करवाचौथ शब्द का अर्थ
करवा शब्द का अर्थ मिट्टी का बर्तन होता है. चौथ का शाब्दिक अर्थ चतुर्थी है. इस दिन शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पति, पत्नी को मिट्टी के बर्तन (करवा) से पानी पिलाकर व्रत खुलवाता है. आज हम आपको बताते हैं कि इसमें करवा क्यों महत्वपूर्ण है. 


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पंच तत्वों का प्रतीक है करवा
करवा पंच तत्वों का प्रतीक माना जाता है. मिट्टी के करवा में पांच तत्व होते है जल, हवा , मिट्टी, अग्नि, व आकाश. इससे ही हमारा शरीर भी बना है. करवा में मिट्टी और पानी मिलाया जाता है. पानी में मिट्टी को गला कर करवा बनाया जाता है, भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है. उसे बनाकर धूप और हवा से सुखाया जाता है, जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक है. फिर आग में तपाया जाता है. भारतीय संस्कृति में पानी को ही परब्रह्म माना गया है. जल ही सब जीवों की उत्पत्ति का केंद्र है. इस तरह मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्व और परमात्मा दोनों को साक्षी बनाकर अपने दांपत्य जीवन को सुखी बनाने की कामना करते हैं. मिट्टी के तपे हुए बर्तन में पानी पीना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह उपयोगी है. आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तन में इसे फायदेमंद माना गया है.


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क्यों होता है मिट्टी का करवा यूज
धर्म ग्रंथों में मिट्टी के पात्रों को शुद्ध माना जाता है. मिट्टी के करवा का प्रयोग हिंदू धर्म में पूजा-अनुष्ठान के कार्यों में मिट्टी के बर्तनों को जैसे कलश, मिट्टी का दीपक आदि का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा प्रकृति में 5 मुख्य तत्वों के बारे में बताया गया है. मिट्टी, आकाश, जल, वायु, और अग्नि. इसके बारे में उल्लेख पहले ही किया जा चुका है. इस तरह से करवाचौथ पर मिट्टी के करवा का प्रयोग करना बेहद ही शुभ माना जाता है.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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